विज्ञापन में PM की फोटो लग सकती है, तो CM की क्यों नहीं : रोहतगी
विज्ञापन में PM की फोटो लग सकती है, तो CM की क्यों नहीं : रोहतगी
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नई दिल्ली : सरकारी विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि जब पीएम की तस्वीर विज्ञापन पर हो सकती है, तो सीएम की क्यों नहीं। यह याचिका उतर प्रदेश सरकार, तमिलनाडु सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार व कई अन्य राज्यों ने दायर की थी।

इस पर केंद्र सरकार की ओर से सफाई देते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर पीएम की फोटो विज्ञापनों में हो सकती है, तो सीएम की क्यों नही। मंत्री बिना चेहरे के हो गए है। पांच साल एक ही चेहरा देखने को मिलेगा, जो प्रधानमंत्री का है। दूसरे चेहरे भी दिखाना लोकतंत्र का हिस्सा है।

पीएम और CM संघीय ढांचे का हिस्सा हैं, इसलिए यह भेदभाव नहीं हो सकता। आगे रोहतगी ने कहा कि सरकारी विज्ञापन जनता तक पहुंचने का जरिया है। आज सोशल मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया का दौर है। विजुअल का लोगों पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है, ऐसे में रोक लगाना सही नहीं है।

लोगों को ये जानने का हक है कि उनका मंत्री क्या काम कर रहा है। इसी तरह सरकार को भी जानकारी लोगों को पहुंचाने का अधिकार है। कोर्ट यह तय नहीं कर सकता कि सरकारी विज्ञापनों में किसकी फोटो हो। यह काम संसद का है, संसद इसके लिए बजट देती है, वह फंड रोक भी सकती है। अगर किसी कानून का दुरुपयोग होता है तो इसका मतलब यह नहीं कि कानून खराब है।

बता दें कि कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि सरकारी विज्ञापनों पर केवल राष्ट्रपति, पीएम औऱ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की ही तस्वीर हो सकती है। इस पर केंद्र सरकार ने कहा था कि यह नीतिगत मामला है, इसमें कानून को दखल नहीं देना चाहिए।

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