लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ, भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के बाद से देश दबे पांव धीरे-धीरे पड़ोसी देशों को आर्थिक झटका देने की तैयारी में लगा है. दरअसल, कारोबारी गलियारा भी इसे बात को लेकर तंग चल रहा है. ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स, कॉस्मेटिक की चीजे बनाने से लेकर तमाम क्षेत्र के व्यापारियों को लग रहा है कि यदि दोनों देशों के बीच में हालात नहीं सुधरे हैं तो आने वाले वक्त में बड़ा आर्थिक झटका लग सकता हैं.
भारत-चीन आयात-निर्यात के एक्सपर्ट्स का बोलना है कि कोरोना संक्रमण से अर्थव्यस्था को जितनी बड़ी चोट पहुंची है, उससे कहीं बड़ी आर्थिक सुनामी आने जैसे स्तिथि भविष्य में पैदा हो सकती हैं. वाणिज्य मिनिस्ट्री के सूत्र बताते हैं कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मिनिस्टर पीयूष गोयल का मैन फोकस घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की और है और चीन से आयात की निर्भरता घटाने पर है. इसको लेकर वह कारोबारी इलाके के तमाम उद्यमियों, संगठनों और संस्थाओं से बातचीत कर रहे हैं. ऑटोमोबाइल मनुफैक्चरिंग इलाके में भी बड़ी पहल की जा रही हैं. लगभग-लगभग हर हफ्ते इस केस में बैठक हो रही है. तेरह अगस्त को मिनिस्ट्री ने ऑटो क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के लोगों के साथ मीटिंग की थी.
शुक्रवार यानी 21 अगस्त को समीक्षा मीटिंग हुई और इसमें सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटो मोबाइल मनुफैक्चरर (एसआईएएम) से ऑटो इलाके में निवेश की संभावना, स्थानीय लेवल पर निर्भरता, आयात-निर्यात, रॉयल्टी के एवज में किए जाने वाले भुगतान सहित अन्य बातों की सूचना मांगी गई.
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