इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है यहाँ लव जिहाद की शिकार एक हिंदू महिला ने सुनवाई के चलते अश्लील सवाल पूछने तथा उसका चरित्र हनन करने का आरोप लगाया था। इसको लेकर महिला संगठनों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति ज्ञापन सौंपकर जज के निलंबन की माँग की है। इसके साथ ही बलात्कार की शिकार लव जिहाद पीड़िता ने अपना केस किसी और अदालत में स्थानांतरण कराने के लिए इंदौर के सीजेएम (प्रधान न्यायधीश) के यहाँ आवेदन दिया है। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसके मामले की सुनवाई के चलते क्रॉस क्वेशचन करते हुए जज ने उससे अश्लील बर्ताव किया था तथा उसकी मर्यादा को ठेस पहुँचाई थी। इसको लेकर लड़की ने राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), राष्ट्रीय महिला आयोग एवं मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रशासनिक जज को पत्र लिखा था। इसमें महिला ने जज का नाम भी लिखा है।
पीड़िता ने कहा कि उससे सवाल करते वक़्त स्त्री लज्जा का भी ध्यान नहीं रखा गया तथा उसे बाजारू औरत बता दिया गया। इस के चलते कोर्ट रूम में बैठे हुए लोग ठहाके लगाते रहे और वह शर्म से पानी-पानी होती रही। अपनी शिकायत में पीड़िता ने अदालत में पूछे गए सवालों के बारे में बताया है और लिखा कि यदि उसे न्याय नहीं दिया जा सकता है तो उसे इच्छामृत्यु की अनुमति दे दी जाए। पीड़िता ने बताया कि सुनवाई के चलते उसके साथ धोखा देकर बलात्कार करने वाले अशरफ मंसूरी के अधिवक्ता को सवाल करने थे। इस के चलते जज ने अधिवक्ता को रोक दिया तथा कहा, “इस प्रकार की लड़कियों से क्रॉस क्वेश्चन तो मैं स्वयं करता हूँ।’ उन्होंने सवाल करने से पहले कोर्ट रूम के बंद दरवाजे खुलवा दिए। फिर जज ने पूछा, “एक गाड़ी में कैसे बलात्कार हो सकता है? बलात्कार के बाद तुम्हें रुपए मिल गए थे?”
पीड़िता का कहना है कि जज के सवाल पर उसने अपने अधिवक्ता के जरिए आपत्ति जताई तो जज ने अधिवक्ता को डाँटकर चुप करा दिया। शिकायत में पीड़िता ने कहा “जज ने कोर्ट रूम का दरवाजा खुलवाकर मेरे बयान लिए। मुझसे ऐसे सवाल पूछे कि सिर शर्म से झुक गया। कोर्ट रूम में मौजूद सभी लोग हँस रहे थे। जज ने मुझे बाजारू लड़की कहा। पूछा कि तुम्हें बलात्कार के बाद पैसे मिल गए कि नहीं?” जज पर सवाल उठाते हुए पीड़िता ने आगे कहा,“उन्होंने स्वयं के लिए कहा कि मैं भी जींस-टी शर्ट पहनकर निकलूँगा तो तुम्हारे जैसी लड़कियाँ मेरे साथ घूमने निकल जाएँगी। आजकल इस प्रकार की बाजारू लड़कियों का कोई चरित्र नहीं बचा है तथा ये रुपए लेने की नीयत से झूठे केस दर्ज कराती हैं। इस तरह के शब्द सुनकर अदालत में मौजूद आरोपित के एडवोकेट सहित सभी लोग ठहाके मारकर हँस रहे थे।“
पीड़िता ने कहा, “जिन शब्दों के साथ न्यायाधीश महोदय ने मेरे चरित्र एवं गरिमा का हनन किया है, वह वापस लौटना संभव नहीं है। जिस प्रकार से न्यायाधीश महोदय के द्वारा मेरे साथ अश्लील तरीके से चर्चा की गई है… आरोपित के अधिवक्ता को जैसा विश्वास दिलाया गया… उससे ऐसा लग रहा है कि मुझे उनके न्यायालय में न्याय नहीं मिलेगा। मुझे न्याय नहीं दिलवा सकते तो इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करें।”
जानिए पूरा मामला?
पीड़िता ने बताया कि उसकी शादी साल 2015 में हुई थी, लेकिन पति के किसी और से प्यार करने की वजह से वे 2017 में अलग हो गए। 2019 में, 'हेलो' ऐप के जरिए अशरफ मंसूरी का युवती से संपर्क हुआ। अशरफ ने युवती को लगातार मैसेज भेजे, लेकिन युवती ने उसे अस्वीकार कर दिया, यह कहते हुए कि वह एक मुस्लिम है और परिवार को यह रिश्ता स्वीकार नहीं होगा। अशरफ ने लड़की को बार-बार मनाने का प्रयास किया, मगर उसने साफ मना कर दिया। कुछ वक़्त पश्चात्, अशरफ ने 'आशु' नाम से एक नई आईडी बनाई और खुद को हिंदू बताकर युवती से दोस्ती कर ली। धीरे-धीरे उनके बीच मुलाकातें बढ़ीं और रिश्ता गहरा हुआ। लड़की ने स्पष्ट किया कि उसे शादी करनी है, टाइमपास नहीं। अशरफ ने उसे आश्वस्त किया कि भाई-बहन की शादी के बाद वह शादी करेगा।
आशु के रूप में अशरफ ने युवती को महंगी गाड़ियाँ दिखाईं, दोस्तों के फ्लैट पर ले गया और उनके साथ संबंध बनाए। अचानक, एक दिन उसका फोन बंद हो गया। लड़की ने अशरफ के दोस्त को फोन किया और पता चला कि आशु वास्तव में अशरफ मंसूरी है। इस खुलासे से लड़की को बड़ा झटका लगा। कुछ दिनों पश्चात्, जब अशरफ ने फोन किया, तो युवती ने विरोध किया तथा बातचीत बंद कर दी। अशरफ ने तब लड़की को उसके घर और दफ्तर के बाहर तंग किया और फोटो लीक करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल किया। अंततः, लड़की ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया। अशरफ के खिलाफ धारा 376, 354, एससी-एसटी एक्ट एवं मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
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