style="text-align: justify;">कितनी सही बात है कि कोई भी इंसान अपने दो हाथ उठा के बीस पच्चीस इंसानों को नहीं मार सकता है।
लेकिन
वही इंसान अपने दो हाथ जोड़कर लाखो करोडो इंसानों को प्रणाम कर उनके दिलो पर राज कर सकता है।
नमक के कितने ही बोरे पड़े रहे, एक चीटी नहीं लगती और शक्कर की एक डली भी रखी हो तो, हजारो चीटींया आ जाती है।
ऐसे ही जिसके स्वभाव में मधुरता होगी, वहाँ लोग अपने आप पहुंच जायेंगे ।और अगर आप नमक जैसे खारे बने रहोगे, तो आप कितना ही बुलाना, लेकिन वहां कोई आना पसंद नहीं करेगा ।
जीवन में सबको अपना बनाना हो तो एक सूत्र सीख लो -
जो मधुरता भोजन में नहीं होती है, उससे कहीं अधिक मधुरता वाणी में होती है अगर वाणी की मधुरता से युक्त मिर्च भी परोसी जाएगी तो वो भी मीठी लगेगी और वाणी की कठोरता से युक्त रसगुल्ले, जलेबी,चमचम सब परोसोगे , लेकिन तब भी वह कडवे ही लगेंगे ..
सार : हमेशा ऐसे बोल बोलो जो सबको अच्छे लगे कही किसी से ख़राब मत बोलो क्यों की जुबान की धार तलवार की धार से भी खतरनाक होती हे