इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल (क्रूड) के दाम एक बार फिर बढ़ रहे हैं. फिलहाल क्रूड 52 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है जो 11 महीने में सर्वाधिक है. ऐसी दशा में सरकार का मानना है कि यदि क्रूड के दाम 60 डॉलर के भीतर रहते हैं तो महंगाई और वित्तीय मोर्चे पर कोई दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन इससे ज्याद दाम बढ़ना चिंताजनक होगा.
वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने एक विशेष बातचीत में कहा कि यदि क्रूड आइल 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुँचता है तो आयात बिल बढ़ेगा. इससे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे. ईंधन महंगा होने से महंगाई बढ़ेगी. ज्यादा आयात खर्च से सरकारी घाटा बढ़ेगा. इससे जीडीपी की ग्रोथ रेट घट जाएगी.
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि क्रूड कि मौजूदा कीमतों से भारत निपट सकता है, लेकिन दाम इससे ज्यादा बढे तो महंगाई और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. इससे पहले विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने से भारत को बहुत फायदा हुआ था. आयात बिल कम हुआ तो महंगाई कम करने में मदद मिली थी.
पिछले पांच माह में क्रूड आइल 70 फीसदी महंगा हो चुका है. विश्व बैंक ने पहले क्रूड आइल का दाम 37 रु. प्रति बैरल रहने का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 41 रु. डॉलर कर दिया गया है