परफेक्शन की मिसाल आमिर खान
परफेक्शन की मिसाल आमिर खान
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आमिर खान का जन्मदिन आज यानि 14 मार्च को होता है. आज आमिर खान अपने जीवन के 51 साल पूरे करके 52 साल में प्रवेश करने जा रहे है. लाखो लड़कियों के दिलो पर राज करने वाले आमिर खान का एक सिद्धांत है की वो साल में सिर्फ एक ही फिल्म में काम करेगे. दर्शको को उनकी फिल्मो का बड़ी बेसब्री के साथ इंतज़ार रहता है.पिछले दिनों भारत सरकार के 'अतुल्य भारत' अभियान से देश की छवि को सशक्त कर चुके आमिर पिछले दिनों असहिष्णुता पर अपने बयान के चलते विवादों में रहे.  

आमिर खान जहा एक अच्छे अभिनेता है वही वो फिल्म निमार्ण और निर्देशन में भी अपनी छाप छोड़ चुके है.आज वो सफलता के जिस मुकाम पर है वह तक का उनका साफ आसान नहीं रहा है.आमिर खान के पिता ताहिर हुसैन फिल्म निर्माता थे.

1973 में आमिर खान पहली बार फिल्म 'यादों की बारात'में बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया था. उसके बाद उनकी फिल्म 'कयामत से कयामत तक' (1988) को बहुत कामयाबी मिली.इस फिल्म के लिए उनको नए कलाकार के रूप में अवार्ड भी मिला.1996 में उनकी फिल्म राजा हिंदुस्तानी ने सफलता के सारे  रिकार्ड्स तोड़ दिए.इस फिल्म ने उनके करियर को एक नया मुकाम दिया.और इसी फिल्म के लिए आमिर खान को पहली बार फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.

'दिल', 'दिल है कि मानता नहीं', 'जो जीता वही सिकंदर', 'हम हैं राही प्यार के', 'अंदाज अपना अपना', 'अकेले हम अकेले तुम', 'राजा हिंदुस्तानी', 'इश्क', 'गुलाम', 'सरफरोश', 'मन', 'अर्थ', 'मेला', 'लगान', 'दिल चाहता है', 'मंगल पांडे : द राइजिंग', 'रंग दे बसंती', 'फना', 'तारे जमीं पर', 'गजनी', 'थ्री इडियट्स', 'धोबीघाट', 'तलाश : द आंसर लाइज वीदिन', 'धूम 3' और 'पीके' जैसी फिल्में उनके सशक्त अभिनय का प्रमाण हैं.

2001 में आमिर खान ने पहली बार 'आमिर खान प्रोडक्शन्स' के नाम से फिल्म निर्माण कंपनी की शुरुआत की.इस कंपनी में पहली बार उन्होंने लगान फिल्म का निर्देशन किया . 'लगान' को सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए 74वें अकादमी पुरस्कार में भारत की ओर से चुना गया था.इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई फिल्मो का निर्माण किया जिन्होंने काफी अच्छा कारोबार किया.

आमिर खान का मानना है की वे सिर्फ कर्म करने पर विश्वास करते है.और उन्हें फल की चिंता नहीं रहती.जब 2009 में उन्हें लंदन के प्रख्यात मैडम तुसाद संग्रहालय में अपनी मोम की प्रतिमा बनवाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जिन कार्यों में उनकी रूचि नहीं है, वह उसे करने में विश्वास नहीं रखते आमिर ने हिंदी फिल्म उद्योग जगत पुरस्कार समारोहों में उचित पारदर्शिता नहीं बरतने के मद्देजनर इन समारोहों से दूरी बना रखी है.

आमिर को 2003 में पद्मश्री और 2010 में पद्मभूषण से नवाजा गया. उन्हें भारतीय सिनेमा और मनोरंजन उद्योग में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा जा चुका है.

इस साल उनकी फिल्म दंगल में उनके  बेमिसाल अभिनय ने फिल्म जगत में उनको एक ऐसा मुकाम दिलवाया है जिसे छू पाना आसान नहीं है.इस फिल्म की सफलता ने उनकी पिछली सारी फिल्मो के रिकार्ड्स तोड़ दिए है.ऐसे महान अभिनेता को हम जन्मदिन की विशेष बधाई देते और भगवान से यही प्रार्थना करते है की वो ऐसे ही हमेशा सफलता के नए मुकाम छूते रहे.

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