कोरोना : आखिर क्यों भारत की इस दवा को हर हाल में खरीदना चाहते है विदेशी मुल्क ?
कोरोना : आखिर क्यों भारत की इस दवा को हर हाल में खरीदना चाहते है विदेशी मुल्क ?
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उम्मीद से भी तेजी से कोरोना वायसर देश में फैल रहा है. वही, मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन इन दिनों बहुत ही चर्चा में है. कारण यह कि इस दवा को कोरोना के भी इलाज में कारगर माना जाने लगा है. हालांकि अभी तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह दवा कोरोना वायरस का संक्रमण रोक सकती है या इस बीमारी का इलाज हो सकता है. लेकिन महामारी से बढ़ते मौत के तांडव ने पूरी दुनिया को इस स्थिति में ला दिया है कि जहां कहीं भी थोड़ी-सी आशा की किरण दिखती है, हम उसकी संभावना तलाशने में लग जाते हैं.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बेचैनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सलाह से इतर जाकर भी भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की न सिर्फ मांग की, बल्कि आपूर्ति नहीं होने पर प्रतिशोधी प्रतिक्रिया की चेतावनी तक दे डाली. हालांकि भारत ने भी इस दवा के निर्यात पर पहले प्रतिबंध लगाया और फिर बाद में मानवीय आधार पर उसमें कुछ ढील देने का एलान किया है. अब इन सवालों के जरिए जानते हैं, क्या है मामला.

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क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन? 

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दशकों से मलेरिया के इलाज की एक निर्धारित दवा है. इसका इस्तेमाल रूमटॉइड आर्थ्राइटिस तथा ल्यूपस (त्वचा पर निकलने वाला एक क्रॉनिक तथा उभरा हुआ घाव) जैसे ऑटोइम्यून रोगों के इलाज के लिए भी होता है.

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क्यों माना जाने लगा कोरोना का संभावित इलाज? 

बता दे कि एक प्रयोगशाला अध्ययन में पाया गया कि क्लोरोक्विन कोरोना वायरस को कोशिकाओं पर हमले से रोकता है. हालांकि टेस्ट ट्यूब या पेट्री डिसेस में जो दवा वायरस पर काबू पाते हैं, वैसा मानव शरीर में हमेशा नहीं होता है. साथ ही यह पाया गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन इंफ्लूएंजा तथा अन्य वायरल रोगों को रोकने या उनके इलाज में सफल नहीं है. लेकिन चीन और फ्रांस के डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कभी-कभी एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन के साथ दिए जाने से रोगियों को राहत मिलती दिखती है. परंतु यह अध्ययन छोटे पैमाने पर हुआ. इसलिए व्यापक पैमाने पर यह पता नहीं चल पाया कि दवा ने काम किया या नहीं. फ्रांसीसी अध्ययन को इस आधार पर नकार दिया गया कि यह मानकों को पूरा करने वाला नहीं था.

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