मानवाधिकार आयोग की हाई कोर्ट से मांग, लिव-इन रिलेशनशिप पर लगाया जाए प्रतिबन्ध
मानवाधिकार आयोग की हाई कोर्ट से मांग, लिव-इन रिलेशनशिप पर लगाया जाए प्रतिबन्ध
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जयपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व नयायधीश अब राज्य मानवाधिकार आयोग के प्रमुख हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के बाद भी वह लिव-इन रिलेशनशिप पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकारों की बलि देनी पड़ती है। यही दलील देते हुए आयोग ने राज्य सरकार से लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ कानून बनाने की मांग रखी है।

सूत्रों के मुताबिक, आयोग का कहना है कि कानून के माध्यम से समाज में गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार महिलाओं के लिए सुरक्षित हो सकेगा। राजस्थान के ह्यूमन राइट्स कमीशन के प्रमुख सेवानिवृत्त जस्टिस महेश शर्मा हैं। आयोग के एक और सदस्य न्यायमूर्ति प्रकाश तांतिया के साथ मिलकर शर्मा ने प्रदेश के मुख्य सचिव और अतिरिक्त सचिव को पत्र भेजकर कानून बनाने की मांग की है। पत्र की प्रतिलिपि केंद्र सरकार को भी भेज दी गई है और मांग की गई है कि केंद्र सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ाए।

आयोग का दावा है कि उसने इस मसले पर कई पक्षों से सुझाव भी मांगे। सुझाव भेजने वालों में पुलिस और सिविल सोसाइटी के लोग भी शामिल किए गए हैं। आयोग ने सवाल किया गया है कि क्या लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए कोई कानून बनना चाहिए। आयोग का कहना है कि शादी के बगैर किसी पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला अपने मूलभूत अधिकारों को पूरी तरह उपयोग नहीं कर सकती है।

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