जिनीवा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्किल डिवेलपमेंट और जॉब क्रिएशन पर भले ही भारी जोर दे रहे हैं, पर उनके सामने चुनौतियों का सागर है। एक रिपोर्ट जिसमें बताया गया है कि भारत कई ऐसे अहम मामले है जिनमे दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में आता है। वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक मानव पूंजी सूचकांक ( ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स) में भारत 100वें पायदान पर है। यह इंडेक्स तैयार करने के लिए मानव पूंजी के विकास और इसके इस्तेमाल का आंकलन किया जाता है।
124 देशों की इस सूची में फिनलैंड को पहले पायदान पर जगह दी गई है। भारत इस सूची में ब्रिक्स देशों के अपने सभी साथी देशों रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश जैसे छोटे पड़ोसी देशों से भी नीचे है। इस लिस्ट में शीर्ष 10 देशों में फिनलैंड के बाद नार्वे, स्विट्जरलैंड, कनाडा, जापान, स्वीडन, डेनमार्क, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और बेल्जियम का स्थान है। फोरम ने कहा कि इस सूची को 46 संकेतकों पर तैयार किया गया है कि देश किस तरह मानव पूंजी का विकास और इसका उपयोग कर रहा है।
इसमें यह भी देखा गया है कि किसी देश में शिक्षा, कौशल और रोजगार पर कितना ध्यान दिया जा रहा है। फोरम ने कहा, "इसका मकसद यह समझना है कि देश अपनी मानव क्षमता का बेहतर इस्तेमाल कर रहा है या उसे बेकार कर रहा है।" इस रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि हालांकि, शैक्षणिक उपलब्धि विभिन्न आयुवर्ग समूहों में बढ़ी है, लेकिन इसकी युवा साक्षरता दर अभी भी सिर्फ 90 प्रतिशत है जो अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी कम है। फोरम ने यह भी कहा है कि विशाल अनौपचारिक क्षेत्र के कारण श्रम बल भागीदारी दर के लिहाज से भी भारत का स्थान काफी पीछे है।