सामाजिक संदर्भ पर आधारित रहती थीं मुखर्जी की फिल्में
सामाजिक संदर्भ पर आधारित रहती थीं मुखर्जी की फिल्में
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भारतीय सिनेमा जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले ऋषिकेश मुखर्जी का नाम फिल्म जगत में बहुत ही लोकप्रिय है। मुखर्जी जी का जन्म 30 सितंबर 1922 में कलकत्ता में हुआ था। ब्रिटिश शासन काल में भारतीय फिल्मों को एक नया रूप प्रदान करने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। मुखर्जी जी एक सफल और अच्छे पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक थे।

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भारतीय फिल्मों में उन्होंने सत्यम, चुपके—चुपके, अनुपमा, आनंद, अभिमान, गुड्डी, गोलमाल, बावर्ची, जैसी कई हिट फिल्मों के लिए फिल्म निर्देशन किया था। वहीं फिल्म आनंद और मिली जैसी फिल्मों की सफलता से भारतीय सिनेमा जगत को एक नया मुकाम देने वाले मुखर्जी ने फिल्म दो बीघा जमीन में बतौर सहायक निर्देशक के रूप में 1953 में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। ऋषिकेश मुखर्जी की सबसे आखिरी में बनी फिल्म झूठ बोले कौवा काटे थी जो 1998 में रिलीज़ हुई थी।

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फिल्म जगत में बहुत लोकप्रिय हुए ऋषिकेश मुखर्जी को दा के नाम से जाना जाता है, उन्होंने चार दशकों में फैले अपने करियर के दौरान 42 फिल्मों को निर्देशित किया है। मुख्य रूप से मुखर्जी अपनी सामाजिक फिल्मों के लिए प्रसिद्ध हैं। मुखर्जी ने मुख्यधारा के सिनेमा की उत्कृष्टता और कला सिनेमा की वास्तविक यथार्थवाद के बीच एक मध्य मार्ग बनाया है। फिल्मी दुनिया में अपने आप को एक अलग स्थान पर स्थापित किए मुखर्जी जी की मृत्यु 27 अगस्त 2006 में मुंबई में हुई थी। जिसके बाद उनकी जगह सिनेमा जगत में कोई नहीं ले सका। 

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