आज लोग कई हालातों में इटिंग डिसॉर्डर से पीडित नज़र आते हैं। कुछ लोग दुख में अधिक खाते हैं तो कुछ कम, कुछ बेचैनी में खाते हैं तो कुछ गुस्से में। ये विकार कंप्लसीव इटिंग, इमोश्नल इटिंग, बिंग इटिंग व एनोरेक्सिया नर्वोसा जैसे नामों से जाने जाते हैं। इस तरह की बीमारियों का शिकार मर्द व औरत दोनों हो सकते हैं। आत्मविश्वास की कमी, तनाव, दुख या अकेले रहने की इच्छा के कारण मर्दों में इटिंग डिसॉर्डर नज़र आ सकते हैं।
इस बीमारी से पीडित व्यक्ति अक्सर अपने आसपास के लोगों व हालातों को अपने बस में करने की कोशिश करता है। परंतु जब वह ऐसा नहीं कर पाता तो यह रोग उसमें स्पष्ट नज़र आने लगता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिया नर्वोसा व बिग इटिंग डिसॉर्डर पुरुषों में नज़र आने वाले कुछ आम प्रकार के इटिंग डिसॉर्डर हैं। यदि आप इस बीमारी को बढने से रोकना चाहते हैं तो इसे शुरूआत में पहचानना होगा। यह बीमारी इतनी बडी नहीं है कि कोई व्यक्ति इससे बाहर नहीं आ सकता।
आपको बस केवल अपने डर या अपने अंदर छुपे दुख से लड़ना है. इस बीमारी से निपटने में व्यक्ति का परिवार, दोस्त व रिश्तेदार सहायक साबित हो सकते हैं। हालांकि कुछ लोग इस बीमारी को बताने में झिझक महसूस कर सकते हैं। लेकिन रोगी के परिवारजनों को समझना होगा कि रोगी को इस बीमारी से बाहर निकालना बहुत जरूरी है क्योंकि फिर ही वह अपनी ज़िंदगी को आम लोगों की तरह जी सकता है।