पहले तीरंदाजी में करियर बनाना चाहती थी मीराबाई चानू, फिर वेटलिफ्टिंग में रखा कदम और रच दिया इतिहास
पहले तीरंदाजी में करियर बनाना चाहती थी मीराबाई चानू, फिर वेटलिफ्टिंग में रखा कदम और रच दिया इतिहास
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मणिपुर की राजधानी इम्फाल में 8 अगस्त 1994 को जन्मी मीराबाई चानू हाल ही में हुए Tokyo Olympics में भारत के लिए रजत पदक जीतकर सुर्ख़ियों में आई थीं. उन्होंने यह रजत पदक वेटलिफ्टिंग में जीता था, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि, 26 वर्षीय मीराबाई चानू को बचपन में तीरंदाजी का शौक था और पहले वो इसी में अपना करियर बनाने का सपना देखती थीं. किन्तु 8वीं कक्षा के बाद उनका झुकाव वेटलिफ्टिंग की तरफ हो गया और फिर उन्होंने इसी में आगे बढ़ने का निर्णय लिया. दरअसल इम्फाल की वेटलिफ्टर कुंजरानी को अपनी प्रेरणा मानकर चानू ने भी भारोत्तोलन में करियर बनाने की कोशिशें शुरू की. बता दें कि चानू ने 11 साल की आयु में एक लोकल वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में अपना पहला गोल्ड मेडल जीता था. बाद में, उन्होंने विश्व और एशियाई जूनियर चैंपियनशिप प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेकर अपने अंतर्राष्ट्रीय भारोत्तोलन करियर की शुरुआत की, जहां उन्होंने दोनों में मेडल जीते.

मीराबाई चानू अब तक देश के लिए कई पदक जीत चुकी हैं. वर्ष 2014 में ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने रजत पदक जीता था. 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स के क्वालीफाई मैच में मीराबाई ने अपनी प्रेरणा वेटलिफ्टर कुंजरानी को मात देते हुए रियो ओलंपिक्स में अपनी जगह बनाई थी. मीराबई ने 2017 में हुई वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 48 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. वहीं 2018 में कॉमन वेल्थ गेम्स में भी चानू ने गोल्ड मेडल हासिल किया था. अप्रैल 2021 में ताशकंद में एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप के दौरान, मीराबाई चानू ने महिलाओं की 49 किग्रा क्लीन एंड जर्क में 119 किग्रा भार उठाकर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित कर दिया था.  

बता दें कि मीराबाई चानू के लिए यहाँ तक पहुंचना इतना आसान न था. अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा है, तब जाकर आज उन्हें ये मुकाम हासिल हुआ है. इस पूरे सफर के दौरान चानू को उनके परिवार का पूरा साथ मिला. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बाद भी उनके माता-पिता ने हर मुश्किल का सामना करते हुए चानू की आहार संबंधी जरूरतों से लेकर कई अन्य आवश्यकताएं पूरी की. उसी का परिणाम है कि चानू लगातार अपने परिवार और देश का नाम ऊंचा कर रही हैं. बता दें कि उन्हें 2018 में भारत के सर्वोच्च नागरिक खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से नवाज़ा गया था. चानू को 2018 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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