SATIRE: देश में भुखमरी के बीच विदेश को गाय का दान
SATIRE: देश में भुखमरी के बीच विदेश को गाय का दान
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भारत में दान देने की परंपरा रही है। हमारे देश में दान को एक पुनीत कार्य माना जाता है और हमारे प्रधानमंत्री तो सनातन धर्म को मानते हैं, सो यदा—कदा वह दान भी करते रहते हैं। हाल ही में पीएम ने अपने रवांडा दौरे के दौरान वहां पर 200 गायें दान की। यह गायें वहां भुखमरी से निपटने के लिए दान की गईं। पीएम ने रवांडा की भुखमरी तो मिटा दी, लेकिन भारत की राजधानी में भुखमरी से तीन बच्चियों की मौत हो गई, तो क्या? अरे भई हम अपने दान देने की परंपरा को तो छोड़ नहीं सकते। 

हमारी पंरपरा कहती है कि भले ही घर के लोग भूखे रहें, लेकिन दान तो देना ही चाहिए। देश विकास कर रहा है, दिनों—दिन विकास कर रहा है और गरीबी कम हो रही है। अब यह गरीब कहां से आ गए क्या पता? यह जरूर विरोधियों की साजिश है, यह गरीब पैदा किए  गए हैं, ताकि चुनाव में पीएम मोदी को टक्कर दी जा सके। हां, यही सच है विरोधी अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। बार—बार कोई न कोई मुद्दा बना लेते हैं। इस समय देश के प्रधान सेवक तो अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में देश के विकास को बता रहे हैं। देश ने इतना विकास ​किया है कि आज भी 8, 5 और 2 साल की बच्चियां भूख से तड़पते हुए मर गईं। दुनिया भर में भूख से मरने वाला हर तीसरा बच्चा भारतीय है, तो क्या? यह विकास ही तो है, जो इनकी खबर आ रही है, वरना कौन ध्यान देता? आप तो विकास देखिए जी विकास। 

भूख से ही हुई राजधानी में तीन बच्चियों की मौत: पोस्टमार्टम रिपोर्ट

पीएम अफ्रीका से वापस आने वाले हैं और मित्रों वह आपको बताएंगे कि देश के विकास के लिए कितने समझौते वहां हुए। रवांडा को जो गायें दी गईं, उनसे रवांडा का कुपोषण दूर होगा, अब भले ही भारत में  हर साल कुपोषण से हजारों बच्चों की मौत हो जाए, लेकिन हम अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ाएंगे और दूसरे देशों को सक्षम बनाएंगे। 

तीखे बोल

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