दुनियाभर में कोरोना के खिलाफ किस तरह जंग लड़ रही 'महिला राष्ट्राध्यक्ष', जानें
दुनियाभर में कोरोना के खिलाफ किस तरह जंग लड़ रही 'महिला राष्ट्राध्यक्ष', जानें
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कोरोना वायरस ने दुनिया के 180 से अधिक देशों को अपना शिकार बना लिया है. वही, वायरस राजनीतिक नेतृत्व के लिए कसौटी साबित हो रहा है. लॉकडाउन के कारण कई देशों के आर्थिक हालात बिगड़ रहे हैं, ऐसे में राजनीतिक नेतृत्व के प्रति कई देशों में असंतोष है. हालांकि जनतांत्रिक देशों में हालात ज्यादा कठिन हैं, क्योंकि सरकारें जनता के प्रति सीधे उत्तरदायी हैं. ऐसे में यदि महिला नेता के हाथ में कमान है तो उन्हें पुरुष नेताओं की तुलना में अधिक परखा जा रहा है.

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इस मामले को लेकर गार्जियन के अनुसार जर्मनी, न्यूजीलैंड, डेनमार्क से लेकर ताईवान तक में महिला राष्ट्राध्यक्षों ने काफी अच्छा काम किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति की तरह ही ताईवान की प्रधानमंत्री विश्र्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तीखी आलोचक हैं. उनके दबाव में ही डब्ल्यूएचओ ने अपनी गलती मानी थी. आइये जानते हैं कुछ जनतांत्रिक देशों की महिला राष्ट्राध्यक्ष संकट के इस समय में अपने देशों को कैसे आगे बढ़ा रही हैं.

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मजबूत एंजेला मर्केल 

दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था को संभालना जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के लिए कतई आसान नहीं था. उन्होंने कोरोना संक्रमण के यूरोप में आते ही तेजी से और सख्त फैसले किए. टेस्टिंग पर जोर दिया और आइसीयू बेड तैयार कराए. जहां शुरुआत में जर्मनी के बारे में अंदेशा था कि वहां कम से कम एक लाख लोगों की मौत होगी, वहां रविवार तक मौत का आंकड़ा पांच हजार से कम है. ऑनलाइन सर्वे में मर्केल को 70 फीसद लोगों का समर्थन हासिल है. वह वैज्ञानिक तरीके से लोगों को लॉकडाउन के फायदे बता रही हैं.

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युवा और ताकतवर साना मारिन


दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री साना मारिन ने अपने सख्त फैसलों से अलग पहचान बनाई. फिनलैंड में कड़ा लॉकडाउन लागू किया गया, गैर-जरूरी यात्राओं को पूरी तरह से रोक दिया गया. जहां पड़ोसी देश स्वीडन में कोरोना ने कहर बरपा दिया, वहीं फिनलैंड में 140 लोगों की मौत हुई और चार हजार लोग कोरोना से संक्रमित हुए.

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दूरदर्शी वेन 

ताईवान की राष्ट्राध्यक्ष तसाई इंग-वेन ने बेहतरीन नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया है. वुहान में रहस्यमय बुखार (जिसे बाद में कोविड-19 नाम दिया गया) के कहर बरपाना शुरू करते ही वेन ने बचाव के कदम उठाने शुरू कर दिए. जनवरी के पहले हफ्ते से उन्होंने यात्रा प्रतिबंध लगा दिए. साथ ही सामाजिक रूप से साफ-सफाई जैसे कदमों पर जोर दिया. हालांकि उन्होंने पूरी तरह से लॉकडाउन कभी नहीं किया लेकिन, समय रहते प्रभावी कदम उठाने के कारण चीन के सीधे संपर्क में होने के बावजूद महज 124 लोग ही संक्रमित हुए और मौतें महज छह. डब्ल्यूएचओ पर वेन भी सख्त रही हैं. वेन ने डब्ल्यूएचओ पर चीन को शह देने और जानकारी छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि ताईवान की जानबूझकर डब्ल्यूएचओ ने अनदेखी की.

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