इस्लाम धर्म की शुरुआत मुहम्मद पैगंबर ने की थी। मुहम्मद का जीवन ज्यादातर एक व्यापारी के रूप में बीता। जब वे 40 साल के हुए, तो उन्हें अल्लाह से कुरान का ज्ञान मिला। यही ज्ञान इस्लाम धर्म की नींव बना। 630 ईस्वी तक, मुहम्मद ने अरब के अधिकांश हिस्सों में इस्लाम का प्रचार कर दिया था। उनका जीवन धार्मिक था और वे तीर्थ स्थलों पर जाकर भक्ति करते थे।
मुहम्मद साहब को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पिता की मृत्यु उनके जन्म से पहले हो गई थी, और उनका पालन-पोषण दादा और चाचा ने किया। माना जाता है कि मुहम्मद के वंशज आज पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।
इस्लाम धर्म का भारत में फैलाव
इस्लाम धर्म के उदय के कुछ समय बाद, गुजरात के अरब तटीय व्यापार मार्ग के माध्यम से भारत में इस्लाम फैलने लगा। 7वीं शताब्दी तक इस्लाम भारतीय उपमहाद्वीप के अंतर्देशीय इलाकों में भी पहुंच चुका था। इसके बाद, अरबों ने सिंध को जीत लिया और 12वीं शताब्दी में महमूद ग़ज़नवी पंजाब के रास्ते उत्तर भारत में आया।
इसके बाद, कई मुस्लिम शासक और व्यापारी भारत आए, और इस्लाम की संस्कृति धीरे-धीरे भारत में फैल गई। भारत में मुस्लिम साम्राज्य की नींव डालने का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक को भी जाता है।
भारत में मुसलमानों की स्थिति
भारत में ज्यादातर मुसलमान दक्षिण एशियाई जातीय समूहों से जुड़े हुए हैं। मुख्य रूप से, मुसलमान मध्य पूर्व और मध्य एशिया से आए थे। मुसलमानों में उच्च जाति अशरफ और निम्न जाति अजलाफ के रूप में वर्गीकृत किए जाते हैं।
भारत में पहली मस्जिद, चेरामन जुमा मस्जिद, 629 ईस्वी में बनाई गई थी। यह मस्जिद इस्लाम के आगमन का प्रतीक है और आज भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस्लाम धर्म, जो दुनिया के दूसरे सबसे बड़े धर्म के रूप में जाना जाता है, ने अपने उदय के बाद वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। भारत में भी इस्लाम की संस्कृति और धर्म ने गहरी जड़े जमा ली हैं। आज, भारत में इस्लाम की उपस्थिति और प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।
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