पाबंदियों के खिलाफ गर्ल्स चला रहीं ‘पिंजरा तोड़’ कैंपेन
पाबंदियों के खिलाफ गर्ल्स चला रहीं ‘पिंजरा तोड़’ कैंपेन
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नई दिल्ली : होस्टल गार्ड्स, वॉर्डन्स, प्रिंसिपल्स और मकान मालिक द्वारा लड़कियों पर सिक्युरिटी के नाम पर पाबंदियां लगाए जाने के विरोध में एक कैंपेन चला रहीं हैं. अगस्त में शुरू किए गए इस कैंपेन में यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स ने फेसबुक पेज के जरिए अपने अनुभव शेयर किए. इसमें कहा गया है कि सेफ्टी के नाम पर महिलाओं की पर्सनल फ्रीडम छीनी जा रही है. सरकार और यूनिवर्सिटीज को यह समझने की जरूरत है कि वे महिलाओं का हक छीनकर उन्हें सुरक्षा नहीं दे सकती. इस कैंपेन को पिंजरा तोड़ नाम दिया गया है.

इस ‘पिंजरा तोड़’ कैंपेन की शुरुआत करने वाली देवांगना कालिता का कहना है कि “हम सिग्नेचर कैंपेन के जरिए होस्टल्स के गेट्स को तोड़ना चाहते हैं. ऑनलाइन पिटीशन्स और मीटिंग्स के जरिए इस कैंपेन को ताकत देने की कोशिश कर रहे हैं.” इस कैंपेन के लिए ग्रुप मेंबर्स कैंपस, गलियों और सड़कों में स्प्रे पेंट्स से स्लोगन लिख रही हैं. हमारा ज्यादातर फोकस सोशल मीडिया पर है. 

10 अक्टूबर को ये स्टूडेंट्स एक जन सुनवाई करने जा रही हैं. उनका कहना है कि हम फिलहाल खुद को पिंजड़े में बंद महसूस करते हैं. सरकार को खाप पंचायतों की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए. इस कैंपेन में दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट शामिल हैं.

इन मुद्दों पर रहेगा फोकस 

1. महिलाओं पर गैरजरूरी पाबंदियां

2. सिक्युरिटी के नाम पर मोरल पुलिसिंग.

3. महिलाओं के रहने वाली जगहों पर सही व्यवस्थाएं हों जिनके लिए पैसा भी कम लगे.

4. एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट कानूनों को सही तरीके से लागू किया जाए.

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