बहराइच: लोग चिकित्सकों को भगवान का रूप मानते है और चिकित्सक भी अपने यहां आने वाले मरीजों का बेहतर से बेहतर इलाज करने का प्रयास करता है, ताकि वह बीमारी से ठीक होकर हंसते-हंसते अपने घर जा सके। रही बात चिकित्सालय के स्टाॅफ की तो उनका भी पहला कर्तव्य मरीजों की सेवा करना ही होता है, लेकिन यहां एक मामला ऐसा आया है, जिसने चिकित्सक जगत को शर्मसार कर दिया।
बताया गया है कि सरकारी अस्पताल में एक मासूम को उसके परिजन तेज बुखार का इलाज कराने के लिये लाये थे, लेकिन वहां मौजूद चंद रूपयों के लिये लालची स्र्टाॅफ ने इंजेक्शन लगाने से ही इसलिये इनकार कर दिया, क्योंकि मासूम के परिजनों से स्टाॅफ ने 20 रूपये की मांग की थी। बताया गया है कि मासूम के परिजनों ने सिर्फ इतना कहा था कि यह सरकारी अस्पताल है,इसलिये यहां पैसे नहीं लगते है। बस फिर क्या था चिकित्सकीय स्टाॅफ ने बीस रूपये में इंजेक्शन लगाना तक मुनासीब नहीं समझा और इसके चलते मासूम की मौत हो गई।
इधर मामले की जानकारी मिलने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच के आदेश देते हुये बताया कि यदि मामले में कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी। इधर चिकित्सालय में मौजूद कुछ लोगों का आरोप था कि अस्पताल में चिकत्सक न तो समय पर मिलते है और न ही स्टाॅफ मरीजों या उनके परिजनों की सुनवाई करता है। मृतक मासूम के परिजनों ने बताया कि वे गरीब है और उनके पास रूपये नहीं होने से उनके बच्चे की मौत हो गई।