नई दिल्लीः 31 अगस्त को असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई। इस सूची में करीब 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिली। इस सूची के बाहर आने के बाद ही उन लोगों में निराशा फैल गई जिनका नाम इसमें गायब था। इस सूची से कोई राजनीतिक दल भी सहमत नहीं है। लोंगों की परेशानी को देखते हुए गृह मंत्रालय ने बड़ा बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा कि सम सरकार उन लोगों में से जरूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी, जिनके नाम 31 अगस्त को जारी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन की अंतिम सूची से गायब हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, "राज्य सरकार ने एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल लोगों के बीच जरूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं।" एक और ट्वीट में, उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का नाम NRC सूची से बाहर रखा गया है, उसे अधिकारियों द्वारा हिरासत में नहीं लिया जाएगा।
ट्वीट में कहा गया है कि जो लोग सूची में शामिल नहीं हैं, वे प्रदान किए गए उपचारात्मक उपायों का उपयोग करके सूची से उनके नाम ना आने पर चुनौती दे सकते हैं। मंत्रालय ने कहा कि असम के विभिन्न हिस्सों में पहले से कार्यरत 200 नए विदेशियों के ट्रिब्यूनल को लोगों की अपील सुनने के लिए खोला जाएगा। एक और ट्वीट में कहा गया कि प्रभावित व्यक्तियों के लिए विदेशियों के ट्रिब्यूनल में 8 अगस्त से ही 120 दिनों के भीतर अपील करने की पर्याप्त न्यायिक प्रक्रिया उपलब्ध है। अपील की सुविधा के लिए, 200 नए एफटी सोमवार से कार्य करेंगे। गौरतलब है कि इस सूची को लेकर असम भाजपा में खूद विरोध के स्वर निकलने लगे हैं।
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