अमित शाह ने कहा - जनता को विकास से वंचित रखना  मानवाधिकार का उल्लंघन
अमित शाह ने कहा - जनता को विकास से वंचित रखना मानवाधिकार का उल्लंघन
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नई दिल्लीः केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 26वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकार को पुलिस ज्यादती और हिरासत में मौत के दायरे तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। इसे भारतीय संदर्भ में नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही शाह ने कहा कि मूलभूत जरूरतों से जनता को महरूम रखना भी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

महात्मा गांधी को 150वीं जयंती पर याद करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनका एकभजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए..' के एक-एक वाक्य का भावार्थ हम लोगों के सामने रखेंगे तो इससे बड़ा मानवाधिकार के लिए कोई चार्टर हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि हम सब चाहते हैं कि गांधी जी के सिद्धांत को आज से संदर्भ में प्रासंगिक होकर सामने रखे जाएं क्योंकि वे शाश्वत और अटल हैं। शाह ने बताया कि किस तरह बच्चों, महिलाओं के मानवाधिकार हमारे देश और समाज में मानवाधिकार से संबंधित व्यवस्थाएं पहले से सन्निहित हैं।

हमारी परिवार व्यवस्था के अंदर ही महिलाओं और बच्चों के अधिकार की बहुत सारी चीजें बिना कानून के सुरक्षित हैं। मानवाधिकार को भारतीय संदर्भ ने नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारा देश, हमारा समाज वर्षों से संकुचित सोच से ऊपर वसुधैव कुटुंबकम की भावना से सोचने वाला देश है। अमित शाह ने कहा कि यह हर सरकार का नैतिक कर्तव्य है कि वो लोगों को मूलॆभूत सुविधाएं मुहैया कराए। 

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