खोखले होते रिश्ते
खोखले होते रिश्ते
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कहते है धरती पर रिश्ते अम्बर से बनकर आते है, थोड़ा खुलकर बयां करूं तो ब्रह्माण्ड की इस असीम कायनात के मसीहा यानी खुदा का बेशकीमती तोहफ़ा . जाहिर-सी बात है कि जितने भी पाक- नापाक, छोटे-बड़े, जाने-अनजाने, सगे-सौतेले और साधारण-असाधारण सभी रिश्तों में उस खुदा ने खुद की भावनाओं को ही शामिल करके इन रिश्तों को आसमां से धरती पर फलीभूत किया है. और धर्म दर्शन के अनुसार भी देखा जाए तो प्राणी मात्र की आत्मा उस परमात्मा का अंग है, इसलिए भी इन रिश्तों का कनेक्शन उस खुदा से बनता है . और इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता कि ये रिश्ते, ये जोड़िया ये एहसास सब ऊपर से बनकर आते है, जिन्हें समूचा जैविक और अजैविक तत्व महसूस करता है और उसी तर्ज़ पर खुदा इस असीम कायनात में ज़िन्दगी का निर्वाह करता है . और यह चक्र सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में अनन्त युगों-युगों से गतिमान है और सतत रहेगा . बहुत ही प्यारे-प्यारे और स्वीट-स्वीट रिश्ते इस विचित्र धरती पर बहुत कम ही देखने को और महसूस करने को मिलते है जो निःस्वार्थ और निःसंदेह ईश्वर का एहसास कराते है .

मेरे जहन में एक सवाल जो बार-बार उठता है वो यह कि जब ये रिश्ते खुदा की खुबसूरत-सी बनाई एहसासों की असीम परत है तो फिर आज के इस आधुनिक दौर में ये परत इतनी कमजोर क्यूँ हो गई है ? इस आधुनिक दौर में रिश्ता चाहे माता-पिता का हो, पति-पत्नी का हो या फिर बाप-बेटे का हो सभी प्रकार के रिश्ते एहसास और विशवास की चौखट पर इंसानियत को शर्मोशार कर रहे है . दिन प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चे सुसाइड कर रहे है, उनके साथ अप्राकृतिक कृत्य हो रहा है, जिन उँगलियों को पकड़कर बचपन बिता आज उन्ही को बुढ़ापे में बेसहारा किया जा रहा है,भाई-बहन के रिश्ते, बाप-बेटी के रिश्ते, पति-पत्नी के रिश्ते, गुरु-शिष्य के रिश्ते और माँ-बेटे के रिश्ते आज उस खुदा की भावनात्मक परत को चकनाचूर कर रहे है .

हरी-भरी धरती आज लहू-लुहान हो रही है,चारों तरफ कत्लेआम हो रहा है,लोभ-लालच,मोह-माया और छल-कपट ने आज ईश्वर के उन पावन एहसासों को धूमिल कर दिया है . इन सबका निष्कर्ष यही निकलता है कि जो कुछ भी हो रहा है इससे खुदा कहीं ना कहीं मायूस हो रहा है, चिंतित हो रहा है, शायद इसीलिए धरती पर प्राकृतिक आपदाएं जैसे भयावह तूफ़ान, बाड़ों का सैलाब, भयंकर भूकंप, अनजान बीमारियों का प्रकोप, बड़े-बड़े अचानक होते हादसे, जानलेवा जलजले और प्राकृतिक संसाधनों का विनाश आदि अप्राकृतिक घटनाएं घटित हो रही है .

आज हम सभी को बस एक विषयवस्तु समझने की बेहद जरुरत है और वो यह कि हम खुदा की बनाई इस खुबसूरत और बेशकीमती कायनात के खिलाफ ना जाएँ और ना ही खुदा की शान में कोई गुस्ताखी करें, बस एक राह पर चले,जियें और जीने दें का फार्मूला अपनाएँ, एक बने नेक बने की सूक्ति जीवन में अपनाएँ तभी वो शक्ति का देवता हमारा खुदा हमें इनायत फ़रमाएगा और हमारे जीने का मुलभूत मकसद भी पूरा हो जाएगा . और हाँ,एक बात और यह कि बिना एहसासों और भावनाओं के रिश्ते एक चमगादड़ की आवाजों की तरह है जिन्हें चमगादड़ कितना भी चीखे पर हमें सुनाई नहीं देती है. इसलिए खुदा की बनाई इस कायनात को खूबसूरती से जियें और एहसासों के साथ उस खुदा का शुक्रिया अदा करें . बस यही इबादत है,बस यही पूजा है .

अरुण पंचोली

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