हिंदुस्तान के लगभग हर हिस्से में बुधवार देर रात होली जलाई गई, वाहन कई-के स्थानों पर आज सुबह भी होलिका दहन किया गया. लेकिन देश में एक ऐसा गांव भी है, जहां होलिका दहन नही किया जाता है. बुंदेलखंड के सागर जिले का हथखोह एक ऐसा गांव है, जहां होली का जिक्र आते ही लोग डर से जाते हैं. यहां लोग होलिका का दहन नहीं करते हैं. इस गांव में होलिका दहन को लेकर न तो कोई उत्साह नजर आती है और न ही किसी तरह का रस इसे लेकर देखा जाता है.
देवरी विकासखंड के हथखोह गांव में होली के दिन आम दिनों की तरह ही गुजरते हैं. गांव में होली नहीं जलाने के पीछे एक किवदंती है. गांव के सरपंच वीर भान की माने तो दशकों पहले गांव में होलिका दहन के दौरान कई झोपड़ियां झुलस उठी थी. तब गांव के लोगों ने झारखंडन देवी की आराधना की और फिर आग बुझ गई. स्थानीय लोगों की माने तो यह आग झारखंडन देवी की कृपा से ही बुझी थी. लिहाजा होलिका का दहन नहीं किया जाना चाहिए. यही कारण है कि कई पीढ़ियों से हथखोह गांव में होलिका दहन बंद है.
वहीं गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि उम्र 85 वर्ष हो गई है, मगर उन्होंने गांव में कभी होलिका दहन होते नहीं देखा. इसके पीछे का कारण लोगों का आग से डरना है. लेकिन आपको यह भी बता दें कि इस गांव में होलिका दहन भले नहीं ही होता है, लेकिन होली खूब खेली जाती है.
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