भद्रा में न करें होलिका दहन
भद्रा में न करें होलिका दहन
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होली का पर्व यूं तो सभी को रंगों की खुशियां और उत्साह प्रदान करता है। होली के इस पर्व पर सभी एक दूसरे के और करीब आते हैं। रंगों के ही साथ यह पर्व धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक भी है। इस बार श्रद्धालुओं को दो दिन होलिका का पर्व मनाने को मिल रहा है। दरअसल मान्यता के चलते लोग दो दिन इस तरह से दो दिन पर्व मनाऐंगे। होलिका दहन का मुहूर्त 18.30 बजे से 20.53 बजे तक रहेगा। जो कि 23 मार्च 2016 का है। मुख्य बात यह है कि पर्व के दौरान भद्रा का योग भी रहेगा।

दरअसल 22 मार्च को भद्रा  23.45 बजे से 1.4 बजे तक लगेगी। यदि भद्राकाल में होलिका दहन किया जाता है तो यह अराजकता का अवसर लाता है। हिंदु और धार्मिक ग्रंथों द्वारा कहा गया कि होलिका दहन होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से जाना जाता है। होलिका का पूजन करने के लिए सूर्यासत के बाद प्रदोष काल से होलिका का पूजन और व्रत किया जा सकता है।

हालांकि यह भी कहा गया है कि पूजा और होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इस अवधि में सभी शुभ कार्य भद्रा के तहत वर्जित हैं। होलिका दहन को लेकर भी मान्यता है कि भद्रा मुख में इसका दहन न किया जाए जबकि भद्रा पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है। भद्रा पूंछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच नहीं होती तो फिर प्रदोष काल में होलिका दहन किया जा सकता है। माना जाता है कि होलाष्टक में किसी भी तरह का शुभकार्य वर्जित होता है। इस अवधि में 16 संस्कारों में से कोई भी संस्कार नहीं किए जा सकते हैं। होलिका दहन के बाद ही शुभकार्य किए जा सकते हैं। 

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