हॉकी का जादूगर कहा जाता है ये दिग्गज खिलाड़ी
हॉकी का जादूगर कहा जाता है ये दिग्गज खिलाड़ी
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देश में मेजर ध्यान चंद एक हॉकी के खिलाड़ी थे, उन्होंने अपने खेल के प्रदर्शन से पूरी दुनियां में हॉकी का नाम रोशन कर दिया और इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अपने नाम को अंकित कर दिया जिसका नाम ध्यान चंद था। जब वह खेल के मैदान में आते थे तो विरोधी टीमें पनाहे मांगने लगती थी और अपना सिर उनकी टीम के आगे झुका लेती थी। वह एक ऐसे खिलाड़ी थे, कि वे किसी भी कोण का निशाना बनाकर गोल कर सकते थे। उनकी इसी योग्यता को देखते हुये उन्हें विश्व भर में हॉकी का जादूगर भी कहते थे।

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यहां बता दें कि उनका जन्म 29 अगस्त 1950 को उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद शहर में हुआ था। कुछ समय पश्चात उनके पिता का स्थानान्तरण झाँसी में हो गया और तब ध्यान चंद भी अपने पिता के साथ वही रहने लगे पिता का बार-बार स्थानान्तरण होने के कारण वह पढाई में ध्यान अच्छी तरह नहीं लगा पाये और उनका मन हॉकी खेलने में लगा रहा वह केवल छठी कक्षा तक ही पड़े है। वहीं बता दें कि बचपन में लोग इन्हें ध्यान सिंह के नाम से पुकारा करते थे जब वह छोटे थे तो वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर पेड़ की डाली की हॉकी बना लिया करते थे और कपड़े की गेंद बनाकर खेलते थे। एक बार वह अपने पिता के साथ हॉकी का खेल देखने गये वहां उन्होंने एक पक्ष को हारता देख वह दुखी होने लगे तब वह चिल्लाकर अपने पिता से कहने लगे कि अगर मै कमज़ोर पक्ष की तरफ से खेलूँगा तो परिणाम कुछ और ही होगा। यहां बता दें कि ध्यानचंद की मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में लीवर कैंसर के कारण हुई थी।  

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वहीं बता दें कि 23 साल की उम्र में ध्यान चंद को 1928 में एम्सटरडम ओलंपिक में पहली वार भारतीय टीम के सदस्य के रूप में चुना गया यहाँ भारतीय टीम द्वारा खेले गये चार मैचों में 23 गोल किये और स्वर्ण पदक हासिल किया 1932 में वर्लिन ओलंपिक में ध्यान चंद को कप्तान बनाया गया। इसके साथ ही 15 अगस्त 1936 को हुये मैच में भारत ने जर्मनी को 8 –1 से हरा दिया और स्वर्ण पदक जीता। बता दें कि इस मैच को जर्मनी का हिटलर भी देख रहा था और जब खेल खत्म हुआ तो उसने ध्यान से मिलने की इच्छा जताई और उनसे मिलकर उनकी बहुत तारीफ भी की। हिटलर ने ध्यानचंद को अपनी टीम में आने के लिए भी कहा परन्तु मेजर ध्यानचंद ने पूर्ण रूप से मन कर दिया।


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