हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर प्रसाद ने बहुत कम उम्र में बड़े उतार-चढ़ाव झेलने के बाद खुद को महज दो बरस के भीतर ही भारत की सीनियर पुरुष हॉकी टीम में खुद को सेंटर हाफ के रूप में स्थापित कर लिया है. विवेक सागर को एफआईएच के राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर के लिए नामित किया गया है. विवेक सागर प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मेरी पूरी कोशिश टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बना कर उसे पदक दिलाने की है. मैं अपने खेल को अपने कप्तान सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह की तरह ढालना चाहता हूं. रही बात ओलंपिक की तो हमारी टीम का फोकस मैच दर मैच बेहतर प्रदर्शन है. मैं आज जो कुछ भी हूं वह अशोक कुमार सिंह सर की बदौलत ही हूं.
उन्होंने ही सबसे पहले मेरी प्रतिभा को पहचाना और मुझे हॉकी की बारीकियां सिखाई है. मुझे भोपाल में अपने घर पर रखा. उनके साथ हबीब सर ने मेरे हॉकी कौशल को बेहतर करने में मदद की. एफआईएच प्रो लीग में दुनिया की तीसरे नंबर की टीम नीदरलैंड के खिलाफ जीत के आगाज को हम अगले महीने विश्व चैंपियन बेल्जियम और दुनिया की नंबर एक ऑस्ट्रेलिया जैसी शीर्ष टीमों के खिलाफ दोहरा कर खुद को टोक्यो ओलंपिक के लिए बेहतर ढंग से तैयार करना चाहते हैं. जब आप अंतराष्ट्रीय हॉकी खेलते हैं तो कोच कोई भी आपको खुद को अलग -अलग स्ट्रक्चर से खेलना आना चाहिए.
विवेक सागर को एक मैच के दौरान 2016 मे कंधे की हड्डी में भयंकर चोट लगी और उनका भारत के लिए 2016 में जूनियर विश्व कप में खेलने का सपना टूट गया था. कुदरत का करिश्मा कहे कि विवेक सागर इससे उबरे ही नहीं बल्कि खुद को अब भारतीय सीनियर हॉकी टीम की अहम कड़ी बना लिया है. विवेक सागर अब भारत के ऑस्ट्रेलियाई हॉकी उस्ताद ग्राहम रीड की टोक्यो ओलंपिक की रणनीति का अहम हिस्सा हैं. भारत के लिए 55 मैचों में 36 से ज्यादा गोल कर चुके हैं.
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