ग़ज़नवी से लेकर क्रूर औरंगज़ेब तक... कई आतताइयों ने तोड़ा, लेकिन कम नहीं हुआ 'सोमनाथ मंदिर' का वैभव
ग़ज़नवी से लेकर क्रूर औरंगज़ेब तक... कई आतताइयों ने तोड़ा, लेकिन कम नहीं हुआ 'सोमनाथ मंदिर' का वैभव
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अहमदाबाद: हिंदुओं का पावन स्थल सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम माना जाता है। कहा जाता है कि इसका निर्माण खुद चंद्रदेव सोमराज ने किया था, जिसका जिक्र हिन्दुओं की प्राचीन पुस्तकें ऋग्वेद में मिलता है। अब पीएम नरेन्‍द्र मोदी, गुजरात  के ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट्स का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। इसे लेकर ये एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। यह मंदिर गुजरात के वेरावल बंदरगाह में मौजूद है। बताया जाता है कि अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका जिक्र किया था, जिससे प्रभावित होकर आक्रांता महमूद गजनवी ने सन 1025 में मंदिर पर हमला किया, सम्पत्ति लूटी और मंदिर को लगभग नष्ट ही कर दिया।

इस हमले की भयावहता को लेकर बताया जाता हैं कि लगभग 5,000 लोगों के साथ गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था। मंदिर की रक्षा करते करते उस समय हजारों निर्दोष लोग मारे गए। इनमें वो लोग थे जो या तो यहां पूजा कर रहे थे या मंदिर में दर्शन कर रहे थे। वो लोग भी थे जो आसपास के गांवों में रहते थे और मंदिर की रक्षा करने आए थे। हालांकि, इस हमले के बाद भी मंदिर का यश कम नहीं हुआ। इतिहास से मिले तथ्यों के अनुसार, गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने मंदिर का पुनः निर्माण कराया। फिर सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात को अपने आधीन किया, तो इस मंदिर ने एक फिर विनाश झेला।  सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया, तो उसने सोमनाथ मंदिर को दुबारा ध्वस्त किया और सारी धन-संपदा लूट ली।  इस तरह मंदिर के पुनर्निर्माण और आक्रमण का दौर लगातार जारी रहा। इन हमलों की एक शृंखला सी बन गई। नुसरत खां के आक्रमण के बाद मंदिर को हिन्दू राजाओं द्वारा पुनः बनवा दिया गया। इसके बाद तीसरी बार 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्‍फर शाह ने मंदिर को फिर तुड़वाया और फिर लूट मचाई। मंदिर फिर से निर्मित किया गया, तो मुजफ्फर शाह के बेटे अहमद शाह ने 1412 में अपने पिता का कृत्य दोहराया, किन्तु हिन्दू राजाओं द्वारा इसे एक बार फिर से बनवाया गया। इस बीच कभी भी श्रद्धालुओं का भक्त‍िभाव मंदिर से कम नहीं हो पाया। 

मंदिर को क्रूर मुगल शासक औरंगजेब के हमले का भी सामना करना पड़ा। औरंगजेब के दौर में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया। पहली बार सन 1665 में मंदिर तुड़वाने के बाद जब औरंगजेब ने देखा कि हिन्दू उस जगह पर अभी भी पूजा-अर्चना करते हैं, तो उसने वहां एक सैन्य दल भेजकर लूटपाट और नरसंहार करवाया। इस वक़्त जो मंदिर खड़ा है उसे आज़ाद भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में दोबारा निर्मित करवाया था। 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया। इस मंदिर की महिमा को 6 बार के हमले भी श्रद्धालुओं के मन से हटा नहीं सके। सातवीं दफा इस मंदिर को कैलाश महामेरू प्रासाद शैली में निर्मित किया गया था, जिसमें निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल जुड़े रहे थे। हालांकि, कई इतिहासकार, सोमनाथ पर 17 बार आक्रमण होने का भी दावा करते हैं। 

 

अब पीएम मोदी के कार्यकाल में यहां सोमनाथ मंदिर के पीछे समुद्र तट पर एक किमी लंबे समुद्र दर्शन पैदल-पथ का निर्माण, प्रसाद योजना के तहत किया जा रहा है। इसे 47 करोड़ रुपये से ज्यादा की कुल लागत से तैयार किया गया है। पर्यटक सुविधा केंद्र' के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र, पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली के मंदिर वास्तुकला वाली प्रतिमाओं को दर्शाता है। पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3।5 करोड़ रुपये की लागत से दुरुस्त किया गया है। इसके साथ ही श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के लागत से किया जाना प्रस्तावित है।

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