लखनऊ: अदब, तहजीब और नवाबों का शहर लखनऊ उस राज्य की राजधानी है जो देश की चुनावी सियासत में बड़ी भूमिका निभाता रहा है। यहां न तो बॉलीवुड के सितारों का तिलिस्म चलता है और न ही किसी बड़े नाम पर यकीन करने का चलन है। पिछले कुछ चुनावी आंकड़ों पर निगाह डालें तो लखनऊ के वोटर्स की चुनावी नब्ज भांप सकते हैं। नवाबों के इस खूबसूरत शहर पर गत 28 साल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है और उसमें भी लंबे समय तक पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट से संसद पहुंचे हैं।
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वर्ष 1991, 1996,1998,1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से वाजपेयी ने जीत का परचम लहराया था। 2009 में यहां से लाल जी टंडन निर्वाचित हुए और 2014 में राजनाथ सिंह ने इस सीट पर भारी मतों से जीत दर्ज की। इस बार एक बार फिर राजनाथ सिंह इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। अभी तक किसी अन्य पार्टी ने यहां से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
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वहीं यहां से पूर्व भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को गठबंधन प्रत्याशी के रूप में टिकट देने की बात चल रही है, किन्तु इसकी पुष्टि अभी नहीं की गई है। वैसे यह भी सत्य है कि लखनऊ के लोग किसी सिलेब्रिटी (नामचीन) प्रत्याशी पर दांव लगाना पसंद नहीं करते हैं। इस कतार में फिल्मकार मुजफ्फर अली, मिस इंडिया नफीसा अली, दिग्गज अधिवक्ता राम जेठमलानी, दिग्गज नेता डॉ। कर्ण सिंह जैसे नाम लिए जा सकते हैं, जो इस सीट से हार का स्वाद चख चुके हैं।
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