हाथरस लोकसभा सीट: यहाँ मुस्लिम-जाट मतदाता के जरिए चलती है सियासत
हाथरस लोकसभा सीट: यहाँ मुस्लिम-जाट मतदाता के जरिए चलती है सियासत
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लखनऊ: प्रचीन शहरों में गिने जाने वाला उत्तर प्रदेश का हाथरस, अलीगढ़ डिवीजन का ही एक हिस्सा है. इसका इतिहास महाभारत और हिन्दू धर्मकथाओं से सम्बंधित है और यहां ब्रजभाषा का इस्तेमाल किया जाता है. ये एक ऐसा इलाका है जहां पर जाट, कुषाण, गुप्ता और मराठा सभी समुदायों का शासन रहा है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अहम् लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट मतदाताओं के प्रभाव वाली सीट है. यही वजह है कि भाजपा-रालोद को यहां से लगातार जीत मिलती रही है. गत लगभग दो दशक से यहां पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्ज़ा रहा है. हाथरस सीट पर मुस्लिम-जाट मतदाताओं का प्रभाव हावी रहता है, यही वजह है कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी इस सीट पर प्रमुख दावेदार रहती है. हाथरस लोकसभा सीट आरक्षित सीटों के अंतर्गत है. वर्ष 2014 में जमीनी नेता कहे जाने वाले राजेश दिवाकर ने यहां पर जीत दर्ज की थी. 

वर्ष 2014 में यहां पर भाजपा के राजेश दिवाकर ने बीएसपी के मनोज कुमार को 3,26,386 मतों से हराकर ये सीट हासिल की थी. साल  2014 के चुनाव में इस सीट पर बसपा दूसरे स्थान पर, सपा तीसरे स्थान पर, आरएलडी चौथे और आप 5वें स्थान पर रही थी. वर्ष 2014 में 17,58,927 वोटरों ने हिस्सा लिया था. इसमें भाजपा और बसपा के मध्य केवल 31.11 प्रतिशत वोटों का अंतर था.

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