इंदौर - बिजासन माता मंदिर का इतिहास 1000 साल पुराना है। यहां देवी के नौ स्वरूप विद्यमान है किसी ज़माने में आसपास काले हिरणों का जंगल होने और तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए इस मंदिर की खास पहचान रही हैं। पूर्व में माता चबूतरे पर विराजित थी। मंदिर का निर्माण इंदौर के महाराजा शिवाजी राव होल्कर ने 1760 में कराया था। बिजासन माता को सौभाग्य और पुत्र दाहिनी माना जाता है। इसके चलते विवाह के बाद यहां प्रदेश की ही नहीं बल्कि देशभर से नव विवाहित जोड़े माता के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।
बताया जाता है, कि अल्हा ऊदल ने भी मांडू के राजा को हराने के लिए माता से मन्नत मांगी थी। माता के नौ स्वरूप के लिए तत्कालीन होल्कर शासक ने यहां मराठा शैली में मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में कई विकास कार्य हुए, चैत्र और शारदीय नवरात्र में मंदिर में मेला लगता है। एक अनुमान के मुताबिक नवरात्र के दौरान यहां देशभर से लगभग 3 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
माता रानी साधारण मिट्टी, पत्थर के ओटले पर विराजमान है, यहां पर काफी मात्रा में लोग माता के दर्शन करने आते हैं। मंदिर का विकास समय-समय पर शासन के विभिन्न योजनाओं के तहत किया जा रहा है। विकास कार्य में मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है। जिससे मंदिर और बड़ा हो सके ताकि यहां पर आने वाले पर्यटन को कोई तकलीफ ना हो।
मंदिर प्राग्रंण में एक पवित्र तालाब भी है। वही इस तालाब में मछलियों की बड़ी तादाद है। दर्शन करने आए श्रदालुओ का ऐसा कहना है की यह मछलियों को खाना खिलने से दान पुण्य का सौभग्य मिलता है, और उनकी सारी मुरादे भी पूरी होती है। वही नवरात्री के दिनों में यह महा यज्ञ का आयोजन होता है और यज्ञ की वजह से यह भक्त जन का तांता लगा रहता है।
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