मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीराम ने भी उड़ाई थी दोस्तों के साथ पतंग
मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीराम ने भी उड़ाई थी दोस्तों के साथ पतंग
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हमारे देश में पतंगबाज़ी का बहुत चलन है। अक्सर भारत के लोग पतंग बड़े लुत्फ़ से उड़ाते हैं। बड़े ही शौक से इसे उड़ाया जाता है क्योंकि इसमें मज़ा आता है पतंग लड़ाने में और दूसरों की पतंग काटने में। ये बात आप शायद ही जानते होंगे कि पतंग उड़ाने का उड़ाने हुनर चीन से शुरू हुआ है। चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे के कुछ राज़।

आपको बता दे कि हिन्दू के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ 'रामचरित मानस' के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। जी हाँ, इसका उल्लेख आपको बालकाण्ड में भी मिलेगा। आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी। दरअसल, पंपापुर से हनुमानजी को बुलवाया गया था जब वो बहुत ही छोटे थे। और जब उनका आना हुआ तब यही 'मकर संक्रांति' का पर्व था। उसी दिन भगवान श्रीराम अपने भाइयों और मित्रों के साथ पतंग उड़ाने लगे। जब श्रीराम पतंग उड़ा रहे थे तो ऐसा कहा जाता है कि पतंग सीधी देवलोक तक जा पहुंची थी। जैसे ही वो पतंग देवलोक पहुंची उस पतंग को देखकर इन्द्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गईं।

वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के लिए सोचने लगी। और उस पतंग को उसने उठा लिया ये सोच कर कि जो ये पतंग उड़ा रहा है वो इसे लेने भी ज़रूर आएगा। तभी श्रीराम ने हनुमान को इसका पता लगाने भेजा जिससे ये पता चला कि एक स्त्री उनकी पतंग को लेकर बैठी हुई है और उनके पूछने पर हनुमान न बताया कि ये पतंग श्रीराम की है। और वो स्त्री उनसे मिलना चाहती है तब श्रीराम ने कहा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। और तभी से ये पतंग उड़ाने की प्रथा चली आ रही है।

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