'ज्ञानवापी में ही मौजूद है स्वयंभू शिवलिंग..', इलाहबाद हाई कोर्ट में हिन्दू पक्ष का दावा
'ज्ञानवापी में ही मौजूद है स्वयंभू शिवलिंग..', इलाहबाद हाई कोर्ट में हिन्दू पक्ष का दावा
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लखनऊ: वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी ढाँचे को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हिंदू पक्ष ने शुक्रवार (20 मई 2022) को दावा किया कि ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मौजूद है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रतिवादी वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वजूखाने में मिला शिवलिंग आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग नहीं है। वह तारकेश्वर महादेव हैं। उन्होंने कहा कि आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू शिवलिंग ज्ञानवापी ढाँचे के केंद्रीय गुंबद के बिल्कुल नीचे लगभग 100 फ़ीट की गहराई में मौजूद है।

बता दें कि स्वयंभू का अर्थ होता है, जो स्वयं प्रकट हुआ हो यानी जिसका निर्माण न किया गया हो। मतलब सीधे शब्दों में, भगवान आदि विश्वेश्वर को स्वयं प्रकट हुआ शिवलिंग माना जाता है, जो भगवान शिव के स्वरुप का प्रतिनिधित्व करता है। पुराणों के मुताबिक, काशी स्थित शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और सबसे प्राचीन है। ज्योतिर्लिंगों का एक लंबा इतिहास है और इसका वर्णन वेद, उपनिषद, पुराणों समेत कई हिंदू धर्मशास्त्रों में मिलता है। वकील रस्तोगी ने बताया है कि ब्रिटिश राज के दौरान विश्वनाथ मंदिर का एक पुराना नक्शा वाराणसी के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जेम्स प्रिंसेप द्वारा बनवाया गया था। इस नक़्शे का जिक्र ‘हिस्ट्री ऑफ बनारस रिटन बाय डॉक्टर एएस एलटेकर (हेड ऑफ डिपार्टमेंट, BHU वाराणसी)’ में मौजूद है। उसमें बताया गया है कि किस-किस जगह पर कौन-कौन देवता के मंदिर थे।

वर्ष 1991 से वाराणसी के सिविल कोर्ट में चल रहे काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी केस में आदि विशेश्वर की तरफ से वादमित्र रस्तोगी ने कहा कि उस नक्शे के आधार पर वजूखाना का स्थान तारकेश्वर मंदिर को तरफ इशारा करता है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर को ध्वस्त कर सपाट कर दिया गया था। यदि वह शिवलिंग है तो वह उसी तारकेश्वर महादेव का हो सकता है। BHU के पूर्व विशेष कार्याधिकारी डॉ. विश्वनाथ पांडेय के मुताबिक, काशी विश्वनाथ मंदिर पाँच बार बनाए जाने का प्रमाण इतिहास में दर्ज है। पहला 2050 वर्ष पूर्व महाराजा विक्रमादित्य ने वरुणा-गंगा संगम के पास बनवाया गया था। संस्कृत सीखने 402 ईस्वी में काशी आए पहले चीनी यात्री फाहियान ने इस महाराजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए आदि विश्वेश्वर का पन्ना (Emrald) निर्मित शिवलिंग देखने की बात लिखी है।

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