नई दिल्ली: अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकारों के बाद अब हिंदू पक्ष की तरफ से पहली पुनर्विचार याचिका शीर्ष अदालत में दाखिल की गई है। अखिल भारत हिंदू महासभा ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका कर अपने 9 नवंबर के फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। वकील विष्णु जैन द्वारा दायर की गई याचिका में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ भूमि दिए जाने के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय का अनुच्छेद 142 के तहत मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ भूमि देने का फैसला उचित नहीं है, क्योंकि ये एक सिविल सूट था। जब अदालत ने जमीन देवता रामलला को दी है तो इस प्रकार वैकल्पिक तौर पर भूमि देने का कोई औचित्य नहीं है। किसी भी पक्ष ने "मॉल्डिंग ऑफ़ रिलीफ़" में वैकल्पिक भूमि की मांग नही की थी। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ द्वारा अनुच्छेद 142 के तहत मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ भूमि नही देनी चाहिए थी।
याचिका में ये भी कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने अपने नौ नवंबर के फैसले में ढांचे को मस्जिद करार दिया है, वो भी सही नहीं है क्योंकि अदालत ने खुद माना है कि इसके नीचे मंदिर था। जब पांच जजों की बेंच ने वक्फ बोर्ड को हकदार नहीं माना, तो ढांचे को मस्जिद कैसे कहा जा सकता है।
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