राष्ट्रभाषा का दर्जा न दिलवा पाना हमारी कमजोरी
राष्ट्रभाषा का दर्जा न दिलवा पाना हमारी कमजोरी
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भोपाल : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मध्यप्रदेश के भोपाल में आयोजित किए गए विश्व हिंदी सम्मेलन में भागीदारी करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा न दिलवा पाना हमारी कमजोरी रही। क्षेत्रीय राजनीति इसका एक बड़ा कारण रही। यही नहीं विश्व के देशों ने भाषाई परेशानियों का समाधान भी हासिल कर लिया। देश में आधे से भी अधिक लोग हिंदी बोलते हैं और कई लोग इसे समझते हैं। मगर इसे वह स्थान नहीं दिलवा सके जो इसे मिलना चाहिए।

केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा इस मामले में कहा गया कि विश्व हिंदी सम्मेलन में जो चर्चा हुई और इसके बाद जिस तरह की अनुशंसा की जाएगी केंद्र सरकार उसे पूर्ण करने की कोशिश करेगी। स्वाधीनता संग्राम को अखिल भारतीय स्वरूप देने के मामले में अंग्रेजी को संपर्क भाषा कहा जाता है यह बात आधारहीन है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को अधिकृत किए जाने को लेकर कहा गया है कि योग दिवस को लेकर करीब 177 देशों का समर्थन मिल सकता है तो हिंदी के लिए 127 देश समर्थन क्यों नहीं कर सकते हैं। गूगल के आंकड़ों का से यह जाहिर होता है कि इंटरनेट में सर्वाधिक कंटेंट जनरेशन हिंदी में होता है। हिंदी में कंटेंट जनरेशन 94 प्रतिशत है। यही नहीं अंग्रेजी में केवल 19 प्रतिशत ही यह कार्य होता है। मामले में कहा गया है कि हिंदी विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा है। 

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