विश्व हिंदी सम्मेलन-  न्यायालयीन कार्य की भाषा भी बन सकती है हिंदी
विश्व हिंदी सम्मेलन- न्यायालयीन कार्य की भाषा भी बन सकती है हिंदी
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भोपाल। आज जिसे देखो वह अंग्रजी बोलने की होड़ में लगा हुआ है। ऐसा लगता है जैसे मानो हर काम में अंग्रेजी को अनिवार्य कर दिया हो। लेकिन यह गलत है ऐसा बिलकुल भी नही है। अंग्रेजी के बिना भी शासकीय कामकाज सरलता से किया जा सकता है, न्यायालयीन कार्य की भाषा भी हिंदी बन सकती है।

यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्व हिंदी सम्मेलन स्थल पर कहीं। बुधवार सुबह लाल परेड मैदान पहुँचते ही सीएम चौहान सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने में जुट गए और विश्वस्तरीय आयोजन के अनुसार ही व्यवस्थाएं करने की हिदायतें दीं। बाद में पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां इस सम्मेलन में अपनी दिलचस्पी ले रही हैं, इससे जाहिर है कि हिंदी के जरिए भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आसानी से कामकाज हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मेलन के साथ ही अंग्रेजी को लेकर कई भ्रम दूर हो रहे हैं, प्रशासन हिंदी में भी आसानी से काम कर सकता है। जब पत्रकारों ने चौहान से हिंदी की प्रिय पंक्तियों के बारे में पूछा तो उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित पंक्तियां- मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक...। पंक्तिया सुनाई।

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