नई दिल्ली : पर्वतारोहण, एक अद्वितीय एडवेंचर स्पोर्टस, ऐसा साहसिक कार्य जो बेहद कठिन होता है। दुर्गम चोटियों पर चढ़ना और वहां की हवा मिट्टी को जानना और कई बार तो दूर - दूर तक बर्फ की चादर के बीच काफी दिनों तक रहना यह कठिन कार्य दुनिया के कम ही लोग कर पाते हैं। मगर जब बर्फीले पहाड़ पर चढ़ने के बाद सबकुछ हिलने लगे और कुछ समझ में न आए तो वह एहसास क्या कहता है क्या इसे आपने जाना है।
यदि नही तो अब ऐसे ही एक पर्वतारोही की जुबानी जानिए हिमालयी क्षेत्र में धरती के कंपन्न से क्या कुछ अनुभव किया गया। जिस वक्त नेपाल में 7.9 तीव्रता का भूकंप आ रहा था उस समय पर्वतारोही अंकुर सिंधी ने पर्वतारोहियों के अपने दल के साथ संकटों का सामना किया। सभी एक दूसरे के साथ धीरज रखते हुए मुश्किल हालात का सामना कर रहे थे। ऐसे में उनकी पत्नी और पर्वतारोही संगीता सिंधी को उनकी फिक्र होने लगी।
मौका मिलते ही अंकुर और संगीता ने एक दूसरे के साथ सैटेलाईट फोन पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कई बार मैंने भी मुश्किलों का सामना किया है। अपने दल से कई बार बिछड़ चुकी हूं, उन्हें पता था कि अंकुर अनुभवी पर्वतारोहियों के साथ हैं। जब सैटेलाईट फोन से दोनों की चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि वहां झटके लग रहे थे मगर सभी लोग सुरक्षित थे। सैटेलाईट फोन की बैट्री खत्म होने के बाद उनका सभी से संपर्क टूट गया।
उन्होंने कहा कि अंकुर दुनिया की सबसे उंची चोटी पर चढ़ाई करने को लेकर उत्साहित थे। इस अभियान के लिए उन्होंने कड़ा प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने कहा कि इसके लिए हफ्ते में 6 दिन तो अभ्यास में ही निकालने पड़ते हैं। अंकुर ने अपने फेसबुक पेज पर इस मुश्किल से गुजरने के कुछ फोटोग्राफ्स पोस्ट किए हैं। पति के लौटने के बाद उन्होंने लिखा कि सदी की सबसे बड़ी बात यह है कि मेरे पति अंकुर बहल बेस कैंप लौट रहे हैं, उनसे चर्चा हुई डनहें कैं 1 से हेलीकाॅप्टर द्वारा पहुुंचाया गया।
उन्होंने सभी का धन्यवाद दिया। बर्फ में जमींदोज़ जीवन यू तो अंकुर और उनका दल सुरक्षित निकल आया मगर ऐसे कई पर्वतारोही हैं जिन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भूकंप के साथ ही बर्फीले तूफान का सामना करना आसान नहीं होता है। बर्फीले तूफान में पर्वतारोहियों को डंटकर तरीके से काम लेना होता है।
तूफान के आगे पर्वतारोही बर्फ की चादर पर लेटकर और खुद को मजबूती से पकड़कर अपना बचाव करते हैं मगर इसके बाद भी किस्मत किस करवट बैठती है यह कोई बता नहीं पाता। कुछ पर्वतारोही तूफान में ही उड़ जाते हैं, हालात ये रहते हैं कि उनकी काया बर्फ की सफेद चादर में लिपटकर सदा - सदा के लिए गुम हो जाती है। कई बार तो खोजने पर भी उनका कोई निशान नहीं मिलता।
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