अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए ईंधन के कर में हुई वृद्धि
अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए ईंधन के कर में हुई वृद्धि
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महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए ईंधन का कर बढ़ाया गया था। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-नवंबर 2020 के दौरान एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 1,96,342 करोड़ रुपये था, जो 2019 में इसी अवधि के दौरान 1,32,899 करोड़ रुपये का था।

तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-नवंबर 2020 के दौरान डीजल की बिक्री 44.9 मिलियन टन रही, जबकि एक साल पहले यह 55.4 मिलियन टन थी। अप्रैल-नवंबर 2019 के दौरान 20.4 मिलियन टन की तुलना में खपत 17.4 मिलियन टन कम थी।

भारत सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी और डीजल पर दो किस्तों में 16 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी ताकि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों से होने वाले लाभ को 20 साल के निचले स्तर पर ले जाया जा सके। इसके साथ ही पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क की कुल घटना बढ़कर 32.98 रुपये प्रति लीटर हो गई और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर हो गई।

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