नई दिल्ली : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता से संबंधित आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहम फैसला दिया है। जिसमें उन्होंने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय में पेश होने के लिए किसी तरह से भी वकील भवानी सिंह को सरकारी वकील के तौर पर नियुक्त करने का अधिकार तमिनाडु सरकार के पास नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि वकील की नियुक्ति निचली अदालतों तक ठीक थी। इसके बाद उच्च न्यायालय में इसकी जरूरत नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में इस तरह का निर्णय दिया। जिसमें कहा गया कि इस तरह का अधिकार तमिलनाडु सरकार नहीं रखती है दूसरी ओर द्रमुक नेता के अंबझगन को अनुमति दी गई कि वे उच्च न्यायालय के सामने लिखित हलफनामा दायर कर सकते हैं। दूसरी ओर उच्च न्यायालय द्वारा मामले में अंबक्षगन और राज्य के निवेदन पर ध्यान देने के बाद निर्णय सुनाया जा सकता है।
जे. जयललिता और तीन अन्य द्वारा भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने के मामले में विशेष अदालत ने अन्नाद्रमुक प्रमुख पर करीब 100 करोड़ रूपए का और अन्य दोषियों पर 10 करोड़ रूपए का जुर्माना आरोपित किया। हालांकि 17 अक्टूबर को जयललिता को न्यायालय से जमानत दे दी गई। इसी मामले में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जज की पीठ ने कहा कि श्री सिंह की नियुक्ति केवल निचली अदालत में सुनवाई के लिए ही थी । उच्च न्यायालय के सामने इसे नए सिरे से सुने जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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