कोर्ट ने मकर संक्रांति में होने वाली बुलबुल फाइट पर लगाई रोक
कोर्ट ने मकर संक्रांति में होने वाली बुलबुल फाइट पर लगाई रोक
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गुवाहाटी : एक ओर जहां तमिलनाडु में जलीकट्टु बुल फाइट को लेकर संशय बना हुआ है तो दूसरी ओर असम में इस बात पर विवाद छिड़ा हुआ है कि क्या बुलबुल के बीच फाइट होनी चाहिए। बता दें कि प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के दौरान असम में भोगाली बीहु का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें हाजो के हयागृवा-माधव मंदिर में बुलबुल फाइट आयोजित की जाती है।

बीते साल इस संबंध में असम हाईकोर्ट में केस दायर की गई थी, जिसके बाद से असम सरकार और मंदिर ट्रस्ट के बीच तनातनी चल रही है। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस प्रथा को चालू रखने का आदेश दिया था। मंगलवार को गुवाहाटी हाइ कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। जस्टिस रुमी कुमारी फूंफा की बेंच ने वन्य जीवन संरक्षण कानून, 1972 और पशु क्रूरता रोकथाम कानून, 1960 के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने के बाद यह फैसला सुनाया।

न्यायाधीश ने 22 दिसंबर को पारित पिछले आदेश में संशोधन किया जहां कामरूप जिले में बुलबुल की लड़ाई पर लगाई गई रोक को स्थगित किया था। आवेदन भारतीय जीव कल्याण बोर्ड ने दायर किया था। इस पर राज्य के मंदिरों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पक्षियों की लड़ाई धार्मिक परंपरा का हिस्सा है, जिसमें इसके द्वारा भगवान विष्णु को सम्मान दिया जाता है। इस फैसले के बाद पुजारी इस दुविधा में है कि कोर्ट के आदेश को माना जाए या वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाए।

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