नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत ने सभी हाईकोर्ट को भूमि अधिग्रहण के मामले पर कोई अंतिम फैसला लेने से रोक दिया है. यह निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी के अपने उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण खत्म नहीं होगा, भले ही रकम अदालत में न जमा कराई गई हो और भूमि मालिकों को मुआवजा न मिला हो.
उल्लेखनीय है कि कल बुधवार को न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा 8फरवरी को दिए गए फैसले से असहमति जताई. इस बारे में न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि वह न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ के फैसले की योग्यता पर नहीं जा रहे हैं, बल्कि हमारी चिंता न्यायिक अनुशासन को लेकर है.
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि दरअसल 8 फरवरी का फैसला वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए फैसले के विपरीत है.सुप्रीम कोर्ट को एक होकर काम करना चाहिए और यही न्यायिक अनुशासन है. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा इस अनुशासन का पालन नहीं किया गया. बता दें कि अब शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अधीनस्थ न्यायालय भूमि अधिग्रहण पर कोई निर्णय नहीं ले सकेंगे.
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