इस अंग्रेज सैनिक को मिला था हिटलर को मारने का मौका, लेकिन नहीं किया ऐसा
इस अंग्रेज सैनिक को मिला था हिटलर को मारने का मौका, लेकिन नहीं किया ऐसा
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दुनिया में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो हिटलर को नहीं जनता होगा. फिर भी हम आपको बता दें कि हिटलर एक जर्मन तानाशाह था, जिसे दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक माना जाता है. वो हिटलर ही था, जिसकी कारण द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था, जिसमें लाखों सैनिकों और आम नागरिकों ने अपनी जान गवा दी थी. हिटलर की क्रूरता का सबसे वीभत्स उदाहरण 'ऑस्त्विज कैंप' था, जिसे नाजियों का यातना शिविर कहा जाता था. कहते हैं कि उसके यातना शिविरों में करीब 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जिसमें ज्यादातर यहूदी थे. ऐसे में आप सोच सकते हैं कि अगर हिटलर नहीं होता तो लाखों लोगों की जिंदगी बच जाती. आज हम आपको एक ऐसे अंग्रेज सैनिक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चाहता तो दुनिया तबाह करने से पहले ही हिटलर को मौत के घाट उतार सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.

बता दें की इस अंग्रेज सैनिक का नाम था हेनरी टैंडी. 30 अगस्त 1891 को जन्में हेनरी की जिंदगी की कहानी भी बड़ी अजीब है. उनका जन्म किसी अस्पताल या घर में नहीं बल्कि एक होटल में हुआ था. उन्होंने अपने बचपन का एक हिस्सा एक होटल में बॉयलर अटेंडेंट बनने से पहले एक अनाथालय में बिताया था. 1910 में वो सेना में भर्ती हो गए थे और यहीं से उनके सैनिक जीवन की सफलता की कहानी शुरू होती है. हेनरी टैंडी ने कई लड़ाईयां लड़ी थीं और कई बार घायल भी हुए थे, लेकिन ये उनका जज्बा ही था कि हर बार वो उठ खड़े हुए थे. हिटलर से उनकी मुलाकात साल 1918 में फ्रांस के एक गांव में हुई थी, जब प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति पर था. हालांकि उस वक्त हिटलर भी एक सैनिक के तौर पर युद्ध में शामिल था.

उस वक्त हुआ कुछ यूं था कि हिटलर घायल अवस्था में पड़ा हुआ था. उसके हाथ में बंदूक तो थी, लेकिन उस वक्त वो उसे चलाने में असमर्थ था. इसी बीच लड़ते-लड़ते हेनरी भी किसी तरह वहां पहुंच गए. उन्होंने देखा कि एक सैनिक घायल पड़ा हुआ है. वो चाहते तो उसे मार सकते थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि किसी घायल सैनिक को नहीं मारना चाहिए. इसीलिए उन्होंने उसे छोड़ दिया और वो वहां से चले गए. हेनरी टैंडी से जब कई सालों के बाद पूछा गया कि उनके पास हिटलर को मारने का अच्छा मौका था, लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया था, तो उन्होंने जवाब दिया था कि उन्होंने हिटलर को नहीं बल्कि एक थके और हारे हुए सामान्य से सिपाही को छोड़ा था. ऐसा नहीं है कि सिर्फ हेनरी ही हिटलर को जानते थे बल्कि हिटलर भी उन्हें बहुत अच्छी तरह जानता था. 1938 में जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नेविले चैंबेरियन म्यूनिख समझौते के दौरान हिटलर से मिले थे तो उसने उन्हें बताया था कि किस तरह हेनरी उसे मारने के बिल्कुल करीब थे, लेकिन उन्होंने उसे मारा नहीं था.

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