देश के कई राज्यों में हुई भारी बारिश, जानिए अपने यहाँ का हाल

देश के कई राज्यों में हुई भारी बारिश, जानिए अपने यहाँ का हाल
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नई दिल्ली: मॉनसून की रफ्तार इस बार थमने का नाम नहीं ले रही है। मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत से मॉनसून की विदाई में देरी होगी। इसके साथ ही इस वर्ष उत्तर-पश्चिम भारत में 17 सितंबर के पश्चात् भी मॉनसून का प्रभाव देखने को मिल सकता है। उत्तर-पश्चिम खाड़ी और उससे सटे पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओडिशा एवं बांग्लादेश के तटों पर कम दबाव वाले क्षेत्र के दबाव में बदलने का अनुमान है। इससे मॉनसून की वापसी की गति धीमी हो जाएगी तथा वह पूर्व और मध्य भारत की ओर बढ़ेगा। देश के कई प्रदेशों में भारी बारिश की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के उत्तर-पश्चिम भारत से वापस जाने की संभावना के साथ, देश में अब तक औसत से 8 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। हालांकि, कुछ प्रदेशो में काफी कम बारिश हुई है। आमतौर पर मॉनसून की वापसी 17 सितंबर के आसपास आरम्भ होती है और 15 अक्टूबर तक समाप्त हो जाती है। 7 सितंबर तक भारत में औसत से 8 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था को राहत प्राप्त हुई है। इस बार कई प्रदेशो में बारिश की कमी देखी गई है। मणिपुर में 30 प्रतिशत, बिहार में 26 प्रतिशत, पंजाब में 23 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 20 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 21 प्रतिशत एवं अरुणाचल प्रदेश में 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश में 14 प्रतिशत, असम में 13 प्रतिशत, हरियाणा और केरल में 10 प्रतिशत की कमी आई है। ओडिशा में 12 प्रतिशत, झारखंड में 13 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 7 प्रतिशत, मिजोरम में 11 प्रतिशत और मेघालय में 3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। दूसरी ओर, दिल्ली में 19 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।

मध्य प्रदेश में औसत से 7 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, जबकि कई प्रदेशो में अत्यधिक वर्षा दर्ज की गई है। राजस्थान में सबसे अधिक बारिश हुई है, फिर तमिलनाडू एवं गुजरात में 51 प्रतिशत अधिक, गोवा में 45 प्रतिशत और लद्दाख में 44 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। आंध्र प्रदेश में 42 प्रतिशत, तेलंगाना में 40 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 28 प्रतिशत, तथा कर्नाटक (23 प्रतिशत), त्रिपुरा (22 प्रतिशत) और सिक्किम (21 प्रतिशत) में भी अधिक वर्षा हुई है। राजस्थान में ज्यादा बारिश आम तौर पर शुष्क जलवायु के लिए फायदेमंद है, जबकि मणिपुर में 30 प्रतिशत बारिश की कमी से पूर्वोत्तर राज्य में पानी की कमी और कृषि पर प्रभाव की चिंताएँ बढ़ गई हैं। भारत की विविध जलवायु परिस्थितियां विभिन्न वर्षा पैटर्न की वजह बनती हैं, जिन्हें पांच प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है: बड़ी कमी (-99 प्रतिशत से -60 प्रतिशत), कमी (-59 प्रतिशत से -20 प्रतिशत), सामान्य (-19 प्रतिशत से 19 प्रतिशत), अधिकतम (20 प्रतिशत से 60 प्रतिशत), और बड़ी अधिकता (60 प्रतिशत से 99 प्रतिशत)। इस साल किसी भी प्रदेश में भारी कमी या अधिक वर्षा दर्ज नहीं की गई है।

कई राज्य 'सामान्य' श्रेणी में आए हैं, किन्तु फिर भी औसत से कम बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में 14 प्रतिशत, असम में 13 प्रतिशत, हरियाणा और केरल में 10 प्रतिशत की कमी देखी गई। ओडिशा (-12%), झारखंड (-13%), पश्चिम बंगाल (-7%), मिजोरम (-11%) और मेघालय (3%) सहित अन्य राज्यों में भी सामान्य से कम बारिश हुई है।

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