बॉम्बे हाईकोर्ट में जैन धर्म के पर्यूषण पर्व को देखते हुए मीट बैन को लेकर सुनवाई हो चुकी है. एक ओर जहां जैन धर्म के लोग पुरे एक हफ्ते के लिए मीट की बिक्री पर रोक लगाने को कहा रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर शिवसेना और MNS कार्यकर्ता इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं. जब मामले की सुनवाई शुरू की गई तो याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि वह मीरा भयंदर या नवी मुंबई नहीं, सिर्फ मुंबई में बैन को लेकर चिंतित हैं. याचिकाकर्ता की इस दलील पर जज ने यह कहा कि मीरा भयंदर या नवी मुंबई इलाके में मीट बैन से सम्बंधित कोई भी आपत्ति नहीं आई है. याचिकाकर्ता ने कहा सरकार की ओर से 8 सितंबर को आदेश जारी किया गया था कि 10, 13, 17 और 18 सितंबर को सभी स्लॉटर हाउस पूरी तरह बंद रहेंगे.
इस दौरान कहीं भी मीट बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. लेकिन सरकार की और से आदेश जारी करने के पहले कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया था. उन्होंने कोर्ट से कहा कि 2004 से अब तक मुंबई में इस तरह मीट की ब्रिक्री पर कभी भी पूरी तरह बैन नहीं लगाया गया और न ही बीएमसी के पास बैन लगाने का कोई भी अधिकार है. कोर्ट ने यह सवाल किया है पैकेट बंद मीट के बारे में उनकी क्या राय है? और उसके पहले के सालों में उनकी क्या प्रक्रिया थी? उसके जवाब में याचिकाकर्ता ने यह बताया कि BMC के 1994 के नियमों के मुताबिक पर्यूषण के दौरान सिर्फ दो से दिन मीट पूरी तरह बैन रहता है.
इस साल ये तारीखें 10 से13 सितंबर रहेगी. दूसरे दिनों में स्लॉटर हाउस तो बंद रहते हैं, लेकिन मीट की बिक्री चालू रहती है. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के व्रत और त्योहार के दिन आते हैं. जब BMC मछलियों को बेचने की अनुमति देती है तो फिर मीट को लेकर उन्हें आपत्ति क्यों?वहीं, नियमों पर किए गए सवाल पर सरकार ने कहा कि सभी निगमों के पास नियम बनाने के अपने अपने अधिकार हैं. इस बात पर कोर्ट ने फिर सवाल किया कि सरकार कोई एक नियम क्यों लागू नहीं कर देती. जिसके बाद सरकार ने एक नियम बनाने की बात कोर्ट में कही है.