स्वस्थ और सुखद जीवन जीने की निःशुल्क दवा
स्वस्थ और सुखद जीवन जीने की निःशुल्क दवा
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आज के इस युग में व्यक्ति के जीवन में आई शारीरिक और मानसिक समस्या पर वह राहत की सांस लेने के लिए दवाओं (मेडिसिन) का इस्तेमाल करने लगता है. जिसका कई बार साइडइफेक्ट भी हो जाता है .व्यक्ति के पास स्वयं वह छमता होती है जिसके माध्यम से वह इन आई बीमारियों से लड़ सकता है . उसके जीवन में बस संयम होना चाहिए .

व्यक्ति यदि नित्य नियम से योग की सही विधि को अपनाकर इस कार्य को करे तो वह सम्पूर्ण जीवन में स्वस्थ रहता है.योग में वह शक्ति है जिससे मानव के विचारों में एकाग्रता आती है ,उसके मन में शांति ,काया में कांति बनी रहती है .मानव अपने मन को  एकाग्र कर भौतिक से सूक्ष्म, सूक्ष्म से अतिसूक्ष्म तक अपने चित्य को ले जाकर आत्मीय-बोध कराता है. 

मानव जीवन में इस योग का संबंध अंत:करण और बाह्य दोनों से है योग मानव को लौकिक और पारलौकिक दोनों की यात्रा कराता है. योग शरीर, मन और इंद्रियों की क्रिया  को स्वस्थ और नियत्रित करता है .एकमात्र योग ही ऐसी क्रिया है, जो मन को वश में करने का मार्ग बताती है.और मानव मानसिक स्वस्थ रहता है .

योग एक ऐसा प्रयोग है जो मानव को प्रकृति के अनुकूल चलने के लिए प्रेरित करता है. योग से ही विचार गति है, भाव उत्पत्ति है और शब्द अभिव्यक्ति है. संभव है.मानव शरीर में ही संपूर्ण ब्रह्मांड का वैभव छिपा है, जिसे पहचानना और जानना आवश्यक है.संपूर्ण ब्रह्मांड की चेतना और प्रारूप को पाकर भी मानव सांसारिक वाटिका में भटकता रहता है. पर यदि वह योग करता है तो सम्पूर्ण जीवन में एकाग्रता को हासिल कर उन्नति की राह में पहुँच ही जाता है .

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