प्रकृति का अनुपम वरदान केसर
प्रकृति का अनुपम वरदान केसर
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केसर का वानस्पतिक नाम क्रोकस सैटाइवस है, अंग्रेज़ी में इसे सैफरन नाम से जाना जाता है.केसर' को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊँचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है.इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है. इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं. इस मादा भाग को वर्तिका एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है. प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं. लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है. इन फूलों की इतनी तेज़ खुशबू होती है कि आसपास का क्षेत्र महक उठता है. 'केसर' खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है, केसर में कैरोटिन, लाइकोपिन, जियाजैंथिन, क्रोसिन, पिकेक्रोसिन आदि तत्व  पाए जाते हैं| 

केसर के अन्य लाभ इस प्रकर है :-

1 केसर खाद्य पदार्थों की सुगंध और स्‍वाद में इजाफा करता है. केसर को खीर, मिठाई और दूध आदि में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। दूध में केसर मिलाकर पीने से त्‍वचा का सांवलापन दूर होता है

2 चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंखों और दिमाग को शीतलता मिलती है, इस लेप को लगाने से दिमाग तेज होता है.

3 किडनी और लिवर के लिए भी केसर काफी फायदेमंद होता है, यह ब्‍लैडर और लिवर की समस्‍याओं को ठीक करने में मदद करता है, और रक्‍त शुद्धिकरण करता है.

4 अनिद्रा की शिकायत को दूर करने में भी केसर काफी उपयोगी होता है। इसके साथ ही यह अवसाद को भी दूर करने में मदद करता है। रात को सोने से पहले दूध में केसर डालकर पीने से अनिद्रा की शिकायत दूर होती है

5 केसर को दूध के साथ पीने से शारीरिक शक्ति बढती है.

6 बच्चें की सर्दी अगर समाप्त न हो रही हो तो बच्चे की नाक, माथे, छाती और पीठ पर केसर, जायफल और लौंग का लेप लगाने से फायदा होता है

क्या करे जब छीन जाये नींद

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