भारतीय पाक पद्यति में दालों के बिना भोजन की थाली अधूरी मानी जाती है, भारतीय खाने का अभिन्न अंग है दाल और कहावत भी है दाल रोटी खाओ ..प्रभु के गुण गाओ..!! दाल के अपने पौष्टिक गुण होते हैं, दालों में प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. यही वजह है कि बढ़ रहे बच्चों को दाल का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिये | हालांकि तमाम दालों के बीच मूंग की दाल को स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है| क्योंकि ये सुपाच्य होती है और प्रोटीन से भरपूर और स्वादिष्ट | इसे बच्चे, बूढ़े ,स्वस्थ, रोगी, सभी खा सकते है क्योंकि ये दाल पचने में हलकी होती है| मूंग दाल का प्रयोग भारतीय रसोई में दाल के आलावा, मून दाल लड्डू , मूंग दाल हलवा, मूंग दाल थूली, मूंग पापड़, मूंग बढ़ी आदि में होता आया है|
मूंग दाल का प्रयोग कई तरह के रोगों के इलाज में किया जाता हैं और उनमें जो प्रमुख है उनका विवरणनीचे दिया जा रहा है –
1 )मूंग दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.
2 ) आग से जल जाना पर जले हुए स्थान पर मूंग को पानी में पीसकर लगा देने से जलन समाप्त होकर ठंडक पड़ जाती है।
3 ) ज्वर में मूंग की पतली सी दाल का पथ्य देना ठीक रहता है। इससे रोगी की स्थिति के अनुसार काली मिर्च, जीरा, अदरक और दाल देना चाहिये। लेकिन छौंक में घी बहुत कम मात्रा में ही ठीक रहता है।
4 ) अगर आपको बहुत अधिक पसीना आने की शिकायत है मूंग दाल को हल्का गर्म करके पीस ले, फिर इस पाउडर में कुछ मात्रा पानी मिलाकर लेप की तरह पूरे शरीर पर मसाज करें. इस लेप आपकी शिकायत दूर हो जाएगी.
5 ) दाद, खाज, खुजली, आदि चर्म रोगों को दूर करने के लिये छिलके वाली मूंग की दाल पीसकर इसकी लुगदी को रोग के स्थान पर लगानी चाहिये इसे काफी लाभ होता है |
6 ) शक्ति वर्द्धक मूंग मोदक अर्थात मूंग के लड्डू बनवाकर सेवन करते रहने से शरीर में लाल रक्त कणों की वृद्धि होती है और स्फूर्ति आती है। वीर्य दोष समाप्त हो जाते है।