मैडिटेशन से गर्भावस्था में होने वाले लाभ से आप नहीं कर सकते इंकार, अद्भुत है इसके लाभ
मैडिटेशन से गर्भावस्था में होने वाले लाभ से आप नहीं कर सकते इंकार, अद्भुत है इसके लाभ
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महिलाओ में गर्भावस्था के दौरान कई तरह के उतार चढाव देखने को मिलते है कई तरह से शारीरिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है ऐसी में इस फेज को आसानी से निकलने के लिए कुछ कारगार उपाय है। वैसे तो गर्भवती महिला से लेकर उसके घर के अन्य सदस्य उसके खाने-पीने का खास ध्यान देते हैं। लेकिन एक चीज है, जिसे शायद आप मिस कर दें और वह है मेडिटेशन। आपको शायद पता ना हो, लेकिन गर्भावस्था में मेडिटेशन करने के कई फायदे होते हैं। दरअसल, गर्भावस्था में स्त्री को सिर्फ बाहरी ही नहीं, आंतरिक रूप से भी स्वस्थ रहना होता है और इसमें आपकी मदद करता है मेडिटेशन।

मेडिटेशन हमारे सब-कॉन्शियस यानी अवचेतन मन में जाकर काम करता है। जिसके कारण महिला को गर्भावस्था में होने वाला स्ट्रेस दूर होता है। इतना ही नहीं, मेडिटेशन करने से माइंड में एल्फा वेव्स बढ़ती है, जिससे पिट्यूटरी ग्लैंड से एंर्डोफिन से स्त्राव होता है। यह एक हैप्पी हार्मोन होता है, जो महिला को गर्भावस्था में खुश रहने में मदद करता है। दरअसल, मेडिटेशन हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने का काम करता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं खुद ब खुद ठीक हो जाती हैं। वैसे आप ध्यान के अलावा प्रणायाम का भी अभ्यास कर सकती हैं।

ज्यादातर देखा गया है की गर्भावस्था के दौरान महिलाओ में मूड स्विंग ज्यादा होता है ऐसा हार्मोन असंतुलन के कारण भी हो सकता है गर्भावस्था में हर महिला को हार्मोनल असंतुलन का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण महिला को कई तरह की परेशानी होती है, जैसे मार्निंग सिकनेस, जी मचलाना, उल्टी होना आदि। लेकिन अगर आप नियमित रूप से मेडिटेशन करती हैं, तो आप बिना दवाईयों के भी इन समस्याओं से निजात पा सकती हैं।

गर्भावस्था में मेडिटेशन करने का एक सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि ध्यान में महिला स्वयं को गर्भस्थ शिशु के साथ कनेक्ट कर लेती हैं और उस दौरान वह अपने बच्चे के बारे में जो भी सोचती हैं, बच्चा धीरे-धीरे वैसा ही आकार लेने लगता है। मसलन, अगर महिला ध्यान के दौरान मन में सोचती है कि उसके बच्चे की ब्लू आईज हों या वह गोरा हो तो बच्चा वैसा ही बनता चला जाता है।

गर्भावस्था में एक वक्त के बाद महिला को हाइपरसेंसिटिविटी की समस्या हो जाती हैं। खासतौर से सातवें आठवें महीने में महिला काफी सेंसेटिव हो जाती हैं। इस अवस्था में वह अपनी प्रेग्नेंसी, बच्चे व प्रसव को लेकर काफी डरती हैं और हाइपरसेंसिटिविटी के कारण उनमें एक अजीब सा चिड़चिड़ापन देखा जाता है। उन्हें छोटी-छोटी बातें भी चुभने लगती हैं। लेकिन अगर महिला मेडिटेशन करती है तो इससे उसे खुद को शांत रखने में मदद मिलती है। ऐसे में महिला की सेंसेटिविटी भी कम होती है।

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