हजारीप्रसाद द्विवेदी जन्मतिथि विशेष: साहित्य के लिए ठुकराई थी ज्यादा वेतन वाली नौकरी
हजारीप्रसाद द्विवेदी जन्मतिथि विशेष: साहित्य के लिए ठुकराई थी ज्यादा वेतन वाली नौकरी
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भारत देश के महान लेखकों और कवियों में से एक हजारी प्रशाद द्विवेदी की आज 111वी जन्मतिथि है।  बहुमुखी प्रतिभा के धनी हजारीप्रसाद द्विवेदी एक आलोचक, निबंधकार, इतिहासकार, उपन्यासकार और विचारक भी थे। उन्हें बचपन से ही लिखने का बेहद शौक था उन्होंने करीब 30 से अधिक किताबें लिखीं हैं और संदेश रासक, दशरूपक जैसी कई पुरानी रचनाओं को संपादित भी किया था। 

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हजारीप्रसाद द्विवेदी की शांतिनिकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर से मुलाकात हुई थी जिसके बाद से उनके भीतर एक नई तरह की इतिहास दृष्टि का बीज जन्मा था। हजारीप्रसाद द्विवेदी का बचपन गरीबी में बिता था. उन्हें हमेशा पैसों की जरूरत रहती थी और वे हिंदी के शिक्षक भी चाहते थे. 1950 में उन्हें बिहार सरकार की तरफ से अधिक वेतन के साथ नौकरी का ऑफर आया भी मिला था, लेकिन उन्होंने सिर्फ इस वजह से इन प्रस्तावों को ठुकरा दिया क्योंकि वे शांतिनिकेतन और लेखन कार्य में अपना समय देना चाहते थे। 

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हजारी प्रशाद के की रचनाओं में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है अंधकार से जूझना है,अशोक के फूल,आपने मेरी रचना पढ़ी?, आम फिर बौरा गए, कुटज, घर जोड़ने की माया, देवदारु, आदि। 

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