क्या आपने भी रखा मोक्षदा एकादशी व्रत तो जरूर करे इन जरुरी नियमों का पालन
क्या आपने भी रखा मोक्षदा एकादशी व्रत तो जरूर करे इन जरुरी नियमों का पालन
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सनातन धर्म शास्त्रों में वैसे तो सभी एकादशी व्रत को बहुत अहमियत दी गई है, किन्तु मोक्षदा एकादशी के लिए कहा जाता है कि इस उपवसा को रखने मात्र से सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है। इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर मंगलवार को पड़ रही है। कहा जाता है कि अगर आप इस व्रत को पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ रहें तथा इसके पुण्य को अपने पितरों को समर्पि​त कर दें तो इससे आपके पितरों का उद्धार हो जाता है। पितरों को नरक की यातनाओं से निजता प्राप्त होता है तथा जब वे मोक्ष की तरफ अग्रसर होते हैं तो अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं। जिससे उनके वंशजों की जिंदगी सुखमय बनती है। किन्तु व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इसे पूरी भक्ति के साथ रखना आवश्यक है, साथ ही एकादशी व्रत के सभी नियमों का भी पालन करना चाहिए। तभी ये व्रत सार्थक हो सकता है।

ये हैं एकादशी व्रत के नियम:-
* एकादशी व्रत के नियम दशमी को सूर्यास्त के पश्चात् से ही लागू हो जाते हैं। मनुष्य को भोजन दशमी को सूर्यास्त से पहले ही ग्रहण करना होता है, तत्पश्चात, व्रत आरम्भ होता है तथा द्वादशी के दिन पारण करने तक चलता है। इस प्रकार से ये व्रत पूरे तीन​ दिनों तक चलता है।
* दशमी की रात से लेकर द्वादशी के प्रातः पारण करने तक अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। इस व्रत को श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से निर्जल, केवल पानी लेकर, फल लेकर या एक वक़्त फलाहार लेकर कर सकते हैं।
* दशमी की रा​त से ही द्वादशी की रात तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा दशमी की रात को भूमि पर सोया जाता है, ज​बकि एकादशी की रात को जागकर ईश्वर का ​कीर्तन किया जाता है। अगर आराम करना भी हो तो जमीन पर ही करें।
* इस दिन घर के किसी भी सदस्य को अंडा, मांस तथा मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। संभव हो तो सभी सदस्य प्याज एवं लहसुन का भी त्याग करके सात्विक खाना खाए।
* व्रत के समय कभी झूठ न बोलें, चुगली न करें। बड़ों का अनादर ना करें तथा किसी के दिल को ठेस न पहुंचाएं। व्रत के चलते जरूरतमंदों की सहायता करें।
* व्रत को पूरा करने के पश्चात् द्वादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर किसी ब्राह्मण को खाना खिलाए। उसके पैर छूकर आशीर्वाद लें तथा सामर्थ्य के मुताबिक, दक्षिणा देकर घर से विदा करें। इसके पश्चात् अपना व्रत खोलें।
 

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