चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का अवसर 4 अप्रैल को है। इस दिन न केवल देवी दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है तो वहीं हवन भी करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है तथा माता कृपा प्राप्त होने में देर नहीं लगती है। इसके साथ ही अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन और कन्या भोजन भी कराना चाहिए।
भले ही पांच कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें पूजे तथा खीर का प्रसाद खिलाए, परंतु इतना तो कम से करना ही चाहिए, क्योंकि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों में उल्लेखित किया गया है। जिन श्रद्धालुओं द्वारा नित्य पूजन आदि किया जा रहा है उन्हें अष्टमी तिथि पर हवन करना ही चाहिए, हवन की पूर्णाहूति से ही नित्य पूजन करने का फल प्राप्त होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
कन्या पूजन के लिए कन्याओं को पहले आमंत्रित करें तथा सम्मान के साथ उन्हें भोजन कराया जाए। पूजन के दौरान चुनरी के अलावा यथायोग्य दक्षिणा देकर कन्याओं के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करना श्रेष्ठकर माना गया है।