1978 में भी हुआ था नोट बंदी का फैसला, उस समय कुछ ऐसे थे हालात
1978 में भी हुआ था नोट बंदी का फैसला, उस समय कुछ ऐसे थे हालात
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नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा 1000 रूपए और 500 रूपए के नोट्स बदलने को लेकर हर कहीं चर्चा की जा रही है। बड़े पैमाने पर लोग बैंक्स में अपने पुराने हो चुके 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट्स को बदलने के लिए कतारों में लगे हैं। मगर क्या आप जानते हैं नोट्स बंद करने और उसके स्थान पर जनता को नए नोट्स दिए जाने का निर्णय पहले भी हो चुका है। जी हां, जब ऐसा हुआ तब भी बैंक्स के काउंटर्स और कार्यालयों के बाहर लोगों की कतारें थीं बस अंतर इतना था कि भारत की जनसंख्या तब इतनी अधिक नहीं थी और न ही इलेक्ट्राॅनिक ट्रांजिक्शन होता था।

जी हां, हाल ही में सोश्यल मीडिया में वर्ष 1978 की एक तस्वीर वायरल हुई है। इस ब्लैक एंड व्हाईट तस्वीर में लोग कतार में लगे हैं और एक व्यक्ति अपने पास मौजूद नोट दिखा रहा है ये लोग नोट को बदलने की कतार में लगे थे। दरअसल तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 100 रूपए से अधिक के नोट्स पर प्रतिबंध लगाकर सभी को आश्चर्य में ला दिया। मोरारजी देसाई के इस निर्णय से सारे देश में हलचल मची हुई थी लेकिन सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए 1000 रूपए, 5000 रूपए और 10000 रूपए के नोट्स को बदलने के के लिए लोग अपनी तैयारी में थे।

हालांकि उस दौर में भी लोग परेशान थे और लोगों में हड़कंप मच गया था। वर्ष 1978 में 1000 रूपए और 5000 रूपए के ही साथ 10000 रूपए के नोट्स प्रतिबधित करने से लोग प्रभावित हुए थे। हालात ये रही थी कि जिनके पास नोट अधिक थे वे खुद को आर्थिकतौर पर लगभग बर्बाद मान रहे थे। मगर फिर व्यवस्था में धीरे-धीरे नए नोट चलन में आने लगे। गौरतलब हे कि उस दौर में मुंबई जैसे शहर में 1000 रूपए में 5 स्क्वैयर फीट की जमीन भी क्रय की जा सकती थी।

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