हरिवंश राय बच्चन की कलम से
हरिवंश राय बच्चन की कलम से
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1. खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की.
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है.

अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे.
क्यों की जिसकी जितनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे.

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